उत्तराखंड: आर्थिक संकट से जूझ रही महान लोकगायिका की बेटी, इलाज के लिए भी पैसे नहीं
मशहूर लोक गायिका स्व. कबूतरी देवी की विरासत को आगे बढ़ाने का सपना देखने वाली हेमंती गले की बीमारी से परेशान हैं, और उनके पास इलाज कराने के लिए पैसे भी नहीं है।
Sep 22 2020 2:22PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक गायिका स्व. कबूतरी देवी की मखमली आवाज को पूरी दुनिया में सराहा गया, लेकिन अपने जीते जी वो उस सम्मान को कभी ना पा सकीं, जिसकी वो हकदार थीं। दो साल पहले जब कबूतरी देवी का निधन हो गया, तब उनकी बेटी हेमंती ने मां की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन अब हेमंती भी आर्थिक तंगी से जूझ रही है। स्व. कबूतरी देवी की विरासत को आगे बढ़ाने का सपना देखने वाली हेमंती गले की बीमारी से परेशान है, और उनके पास इलाज कराने के लिए पैसे भी नहीं है। मां के निधन के बाद हेमंती आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। प्रसिद्ध लोक गायिका स्व. कबूतरी देवी को उत्तराखंड की तीजनबाई के नाम से जाना जाता है। साल 2018 में उनका निधन हो गया था। लोक गायिका कबूतरी देवी के निधन के बाद शासन-प्रशासन ने उनकी बेटी हेमंती को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया, लेकिन सच ये है कि प्रदेश में ना तो कला-संस्कृति की कद्र हो रही है, और ना ही यहां किसी में संवेदना नाम की चीज बची है। आगे पढ़िए
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मां की मौत के बाद हेमंती दाने-दाने को मोहताज हो गई हैं। वो गीत गाकर कबूतरी देवी की विरासत को संजोना चाहती थीं, लेकिन गले से संबंधित बीमारी ने उनकी आवाज पर असर डाला है। वो गीत नहीं गा पा रहीं। बीमारी की वजह से हेमंती देवी को बोलने में भी दिक्कत होने लगी है। मशहूर लोक गायिका स्व. कबूतरी देवी का एक बेटा और दो बेटियां हैं। उनके निधन के बाद बेटी हेमंती परिवार की गायन परंपरा को आगे बढ़ा रही थीं। लेकिन पिछले साल मई में 45 साल की हेमंती देवी की आवाज बैठने लगी। उन्होंने इसी साल फरवरी में मुंबई में गले का ऑपरेशन कराया था, लेकिन पिछले दो महीने से उन्हें गले में फिर से दिक्कत शुरू हो गई है। हेमंती के पति की माली हालत भी ठीक नहीं है। वो बताती हैं कि मां के निधन के समय जो घोषणाएं की गईं थीं, वो आज तक पूरी नहीं हुईं। परिजनों के पास हेमंती के इलाज तक के लिए पैसे नहीं बचे। राज्य समीक्षा के माध्यम से हम उत्तराखंड शासन-प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं से हेमंती की मदद की अपील करते हैं। हेमंती देवी की मदद के लिए आगे आएं, ताकि हम स्व. कबूतरी देवी की विरासत को बचा कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकें।