पहाड़ का बेमिसाल किसान..दो पौधों से उगा दी दो कुंतल कीवी, कमाई भी शानदार
72 साल के किसान मोहन सिंह ने शुरुआत में शौकिया तौर पर कीवी का उत्पादन किया, आज ये उनके लिए कमाई का बढ़िया जरिया बन गया है।
Sep 25 2020 11:03AM, Writer:Komal Negi
अल्मोड़ा के बुजुर्ग किसान मोहन सिंह लटवाल ने असंभव को संभव कर दिखाया है। पहाड़ की जिस पथरीली जमीन पर सीजनल फसलों की पैदावार ही बड़ी मुश्किल से होती है। वहां मोहन सिंह लटवाल ऑस्ट्रेलिया में पैदा होने वाला फल कीवी उगा रहे हैं। पहाड़ की धरती पौष्टिक फलों के उत्पादन के लिए अनुकूल है। यहां किसान आडू, माल्टा, सेब, खुबानी और नाशपती जैसे फलों की खेती कर रहे हैं। वहीं कुछ किसानों ने विदेशी फलों का उत्पादन भी शुरू किया है। अल्मोड़ा के मोहन सिंह लटवाल इन्हीं किसानों में से एक हैं। उन्होंने शुरुआत में शौकिया तौर पर कीवी का उत्पादन किया, आज ये उनके लिए बढ़िया कमाई का जरिया बन गया है। बुजुर्ग मोहन सिंह आज खुद भी कीवी की खेती कर रहे हैं, साथ ही दूसरे लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। आगे पढ़िए
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: यहां 1 महीने में 4 लोगों पर हमला कर चुका है गुलदार, गांव वालों में दहशत
मोहन सिंह कहते हैं कि कोरोना संकटकाल में कीवी की खेती बेरोजगारों के लिए अवसर बन सकती है। कृषि और बागवानी के लिए समर्पित मोहन सिंह को साल 2005 में जिले के प्रगतिशील किसान का गौरव पुरस्कार मिल चुका है। 72 साल के मोहन सिंह हवालबाग ब्लॉक के स्याहीदेवी गांव में रहते हैं। वो बताते हैं कि साल 2005 में जब उन्होंने विशेषज्ञों से कीवी उत्पादन में रुचि का जिक्र किया तो विशेषज्ञों ने कहा कि समुद्र तल से करीब 7 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित स्याही देवी गांव में कीवी उत्पादन संभव नहीं हो पाएगा, लेकिन मोहन सिंह जिद पर अड़े रहे। तब विशेषज्ञों ने उन्हें मात्र दो ही पौधे उपलब्ध कराए। गांव लौटने पर मोहन सिंह ने दो नाली जमीन पर ये पौधे रोपे और साल 2010 में पहले सीजन में इन दो पौधों से दो कुंतल कीवी का उत्पादन हुआ।
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: 1 अक्टूबर से लैंसडौन घूमने आ सकेंगे पर्यटक, इन नियमों का करना होगा पालन
दिल्ली के एक दल ने उनसे 250 रुपये किलो की दर से उत्पादित कीवी खरीद ली। जिससे बुजुर्ग का उत्साह बढ़ा और वो कीवी की खेती पर और काम करने लगे। इस सीजन में कीवी के दो पौधों से उन्हें 3 से 4 कुंतल कीवी का उत्पादन हुआ है। आमतौर पर कीवी की खेती 900 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर होती है, लेकिन बुजुर्ग मोहन सिंह ने अपनी मेहनत से पहाड़ में कीवी की फसल उगाकर असंभव को संभव कर दिखाया। खेती के क्षेत्र में हमेशा कुछ नया करने वाले मोहन सिंह अब गांव लौटे युवा प्रवासियों और दूसरे ग्रामीणों को जैविक खेती की ट्रेनिंग दे रहे हैं। वास्तव में उत्तराखं की कुछ अच्छी और सच्ची कहानियां ऐसी हैं, जो युवाओं के लिए प्रेरणादायक साबित हो रही हैं। हमारी कोशिश है कि ऐसी ही कुछ और कहानियों को आपके बीच ला सकें।