image: Lance Naik Gopal Singh Uttarakhand Martyr

पहाड़ का वीर सपूत..4 घुसपैठियों को मौत के घाट उतारा, फिर देश के लिए शहीद हो गया

अल्मोड़ा जिले के वीर सपूत लांस नायक गोपाल सिंह जिन्होंने 4 घुसपैठियों को मौत के घाट उतार कर भारत के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी-
Sep 25 2020 3:40PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड महज अपनी वादियों के लिए ही नहीं बल्कि अपनी सैन्य परंपरा के लिए भी देश भर में प्रसिद्ध है। भारतीय सेना और उत्तराखंड देव भूमि का संबंध काफी पुराना है। उत्तराखंड के सैंकड़ों युवा भारतीय सेना का अटूट अंग हैं और सैकड़ों वर्षों से चलती आ रही सैन्य परंपरा को वे आगे बढ़ा रहे हैं। इस देवभूमि में कई ऐसे सपूतों और वीरों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपनी जान गंवा कर वतन की रक्षा की है। आज भी वे शौर्यवीर हमारी स्मृतियों में जिंदा हैं और उनका नाम अतीत के पन्नों में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज है। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों में से एक हैं अल्मोड़ा जिले के लांस नायक गोपाल सिंह जिन्होंने 22 सितंबर के दिन 30 साल पहले चार घुसपैठियों को मौत के घाट उतार कर भारत के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनके इस साहस के लिए लांस नायक गोपाल सिंह को मरणोपरांत सेना मेडल से भी नवाजा गया था। बता दें कि बीते मंगलवार को जिला सैनिक लीग ने शहीद लांस नायक गोपाल सिंह के शहीदी दिवस पर उनके घर जाकर उनको श्रद्धांजलि दी और उनके परिवार को सांत्वना दी।

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड से 5 राज्यों के लिए शुरू होगी बस सेवा, आने वाली है गाइडलाइन..पढ़िए पूरी जानकारी
महज 18 वर्ष की उम्र में अल्मोड़ा जिले के गांव मछोड़, तल्ला सलट निवासी गोपाल सिंह 20 कुमाऊँ रेजीमेंट में चयनित हो गए थे। सेना में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद उनको जल्द ही लांस नायक के पद का जिम्मा सौंप दिया गया। 1990 यानी कि आज से 30 वर्ष पहले जम्मू कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था और आतंकवादी और भारतीय सेना के बीच जमकर मुठभेड़ हो रही थे। 20 कुमाऊँ रेजीमेंट को कुपवाड़ा जिले के मच्छल में तैनात किया गया था। 20 सितंबर 1990, के दिन आतंकवादियों ने देश की सीमा में घुसपैठ कर ली थी। जैसे भारतीय सेना को उनके आने की भनक लगी भारतीय जवानों ने तुरंत ही इसके जवाबी कार्यवाही की और घुसपैठियों के पीछे भागना शुरू किया। इसको देख कर आतंकवादी भी वापस भागने लगे। उनका पीछा करते हुए गोपाल सिंह ने चार घुसपैठियों को अपनी बंदूक से ढेर कर दिया था

यह भी पढ़ें - देहरादून में 8 नए इलाके हुए सील, अब तक टोटल 45 इलाके सील..यहां भूलकर भी न जाएं
बता दें कि अन्य घुसपैठियों को भगाने के बाद वापस लौटते समय रेजिमेंट के हवलदार बची सिंह का पैर बारूदी सुरंग में पड़ गया और वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए। लांस नायक ने जख्मी गोपाल सिंह हवलदार बची सिंह को अपने कंधे पर उठाया और वह वापस लौटने लगे। इसी दौरान उनका पांव भी बारूदी सुरंग में पड़ गया और गोपाल सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और 22 सितंबर को उनकी मृत्यु हो गई। 22 सितंबर 1990 को शहादत देकर देश के लिए उन्होंने सबसे बड़ा बलिदान दिया। मेजर बीएस रौतेला ने बताया इस समय शहीद गोपाल सिंह की पत्नी आनंदी देवी अपने परिवार के साथ रामनगर में रहती हैं। बीते मंगलवार को उनकी शहीदी के दिन उनके घर पर जिला सैनिक लीग उनको श्रद्धांजलि देने पहुंची और उनके परिवार को सांत्वना दी। लीग के जिलाध्यक्ष में बीएस रौतेला ने कहा कि सभी पूर्व सैनिकों एवं शहीदों के परिवार के साथ सैनिक लीग हमेशा खड़ी रहेगी।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home