उत्तराखंड: गढ़वाल से कुंमाऊं को जोड़ेगी ये नई सड़क, 71 किमी होगी लंबाई..जानिए खास बातें
भारत-चीन बॉर्डर पर जारी तनाव के बीच उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मिलम से मलारी तक नई सड़क बनाई जाएगी। रोड मुनस्यारी के मिलम से शुरू होकर जोशीमठ के मलारी क्षेत्र तक पहुंचेगी।
Oct 1 2020 8:02PM, Writer:Komal Negi
भारत-चीन के बीच पिछले 5 महीनों से तनातनी जारी है। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद से ही सीमा पर माहौल तनावपूर्ण है। चीन एलएसी के मसले पर नए विवाद खड़े करने की कोशिश कर रहा है। बदले हालात में चीन को अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए भारत ने सीमा पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। भारत-चीन संबंधों में पनपे तनाव का असर उत्तराखंड में भी दिख रहा है। उत्तराखंड के तीन जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र चीन बॉर्डर से सटे हैं, ये इलाके इन दिनों छावनी में तब्दील हो गए हैं। बॉर्डर पर जारी तनाव के बीच उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मिलम से मलारी तक नई सड़क बनाई जाएगी। इससे सेना की चीन बॉर्डर तक पहुंच आसान होगी। इस रोड के बनने से कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के कई गांव आपस में जुड़ जाएंगे। ये रोड प्रोजेक्ट सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इसके तहत 71 किमी लंबी सड़क बनाई जाएगी। आईटीबीपी, वन विभाग और सीपीडब्ल्यूडी ने रोड के निर्माण के लिए सर्वे शुरू कर दिया है। ये रोड कुमाऊं और गढ़वाल के कौन से क्षेत्रों को आपस में जोड़ेगी, ये भी बताते हैं। रोड मुनस्यारी के मिलम से शुरू होकर जोशीमठ के मलारी क्षेत्र तक पहुंचेगी। आगे पढ़िए
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मुनस्यारी का मिलम और जोशीमठ का मलारी क्षेत्र चीन बॉर्डर से सटा है। इस तरह यह सड़क सिर्फ सुविधा ही नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम साबित होगी। रोड निर्माण की जिम्मेदारी आईटीबीपी, वन विभाग और सीपीडब्ल्यूडी को दी गई है। रोड के सर्वे के लिए बुधवार को स्पेशल टीम रवाना हुई। सर्वे में 17 से 18 दिन का वक्त लगेगा। सड़क का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत किया जाएगा। इस रोड से गुंजी और ज्योलिंगकांग को भी जोड़ने की योजना है। रोड बनने से कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले और गढ़वाल के सीमावर्ती जिले चमोली में संचार सेवाएं मजबूत होंगी। इससे बुडा दुंग, परीताल, उंटा धूरा, टोपी डूंगा, बावन बैंड, लपथल, बमरास और मलारी जैसे कई गांव सड़क सेवा से जुड़ जाएंगे। ये सभी गांव चीन सीमा से महज 10 किमी दूर हैं। रोड बनने से यहां कनेक्टिविटी मजबूत होगी, बॉर्डर तक सेना की पहुंच भी आसान हो जाएगी।