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उत्तराखंड में अस्पतालों की शर्मनाक करतूत, कोरोना से हुई 89 मौतों को छुपाया

अस्पतालों की ये करतूत तब सामने आई, जब स्वास्थ्य विभाग ने मौतों के मैन्युअली आंकड़े जुटाने शुरू किए। जांच में पता चला कि कोरोना से मौत के आंकड़ों में 89 मौतों का हेरफेर था। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट
Oct 18 2020 2:09PM, Writer:Komal Negi

प्रदेश में जानलेवा होते कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच सूबे के अस्पतालों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। उत्तराखंड के कई अस्पताल कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा छुपाने में लगे हैं। अलग-अलग अस्पतालों ने कोरोना के चलते जान गंवाने वाले 89 मरीजों के बारे में स्वास्थ्य विभाग को कोई जानकारी नहीं दी। इस तरह ये मरीज मरने के बाद भी लचर सिस्टम में जिंदा ही रहे। अस्पतालों की ये करतूत तब सामने आई, जब स्वास्थ्य विभाग ने मौतों के मैन्युअली आंकड़े जुटाने शुरू किए। इस दौरान पता चला कि अस्पतालों में कोरोना से जान गंवाने वाले मरीजों के आंकड़ों में सिर्फ एक-दो नहीं बल्कि पूरे 89 मौतों का हेरफेर था। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है।

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प्रदेश में 89 कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई, लेकिन इन्हें ना तो सरकार ने मरा हुआ माना और ना ही स्वास्थ्य विभाग ने। क्योंकि अस्पतालों ने इस बारे में स्वास्थ्य विभाग को कोई सूचना नहीं दी। शनिवार को जब स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से जुड़ा हेल्थ बुलेटिन जारी किया, तब कहीं जाकर मामले की सच्चाई सामने आ सकी। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में हुई मौत के आंकड़े मैन्युअली जुटाने शुरू किए, तो जो सच सामने आया उसे देख अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई। जांच के दौरान पता चला कि कोरोना से मौत के आंकड़ों में पूरे 89 मौतों का हेरफेर था। गड़बड़ी कैसे पकड़ में आई, ये भी बताते हैं। दरअसल शनिवार को स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना को लेकर जो बुलेटिन जारी किया उसमें मरने वालों का आंकड़ा 924 था। जबकि शुक्रवार को मरने वालों का कुल आंकड़ा 829 था। ऐसे में सवाल उठने लगे कि आखिरकार एक दिन में ही कैसे 95 लोगों की कोरोना से मौत हो गई। तब पता चला कि अस्पतालों ने इस बारे में स्वास्थ्य विभाग को बताया ही नहीं था। तमाम अस्पताल कोरोना वायरस से मरने वाले मरीजों का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचा ही नहीं रहे थे।

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प्रदेश के किस अस्पताल ने कितने मरीजों की मौत की बात छुपाई। ये भी बताते हैं। देहरादून के कैलाश अस्पताल ने 28, इंद्रेश अस्पताल ने 24, दून मेडिकल कॉलेज ने 21, एम्स ऋषिकेश ने 2, हिमालयन अस्पताल ने 5, देहरादून के मैक्स अस्पताल ने 2, रुड़की के विनय विशाल हॉस्पिटल ने 2, हरिद्वार के जया मैक्स वेल अस्पताल ने दो और रुद्रपुर के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ने तीन मरीजों की मौत की बात छुपाई। अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद एनएचएम की तरफ से सभी प्राइवेट अस्पतालों के साथ ही दून अस्पताल प्रबंधन को भी स्पष्टीकरण दिए जाने के नोटिस थमाए गए हैं। वहीं दून के सीएमओ अनूप कुमार डिमरी ने कहा कि लापरवाही की वजह जानने की कोशिश की जा रही है। आंकड़ों में इतने बड़े अंतर को लेकर अस्पतालों से जवाब मांगा गया है।


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