गजब: उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग बुझाते ITBP के जवान..जांबाजों को सलाम
हिमवीरों ने वन विभाग के कर्मियों के साथ एक जुटता का प्रदर्शन किया और 5 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद वे जंगलों में धधकती हुई आग को काबू करने में आखिरकार सफल हुए।
Nov 11 2020 4:01PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड के जंगलों में आग लगना बेहद आम बात हो गई है। कई बार मनुष्यों द्वारा की गई लापरवाही तो कई बार जान-बूझ कर आग लगाई जाती है। मगर शायद आग लगाने से पहले लोग यह नहीं सोचते कि यह आग किस हद तक खतरनाक हो सकती है। कई जंगलों को यह आग अपने लपेटे में ले लेती है। कई बार आग इतनी फैल जाती है कि इसको कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। उत्तरकाशी में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। जनपद के गंगा घाट एवं यमुना घाट के जंगलों में आग तेजी से भड़क रही है और लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं बाड़ाहट रेंज के भेंद्रडांडा के जंगल में भड़की आग इस हद तक बेकाबू हो गई कि वन विभाग ने भारतीय-तिब्बत सीमा पुलिस ( आईटीबीपी ) की 35वीं वाहिनी के हिमवीरों के साथ मिलकर आग पर काबू पाया।
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भारतीय-तिब्बत सीमा पुलिस ( आईटीबीपी ) के 35 हिमवीर वन विभाग के कर्मियों के साथ 5 घंटे तक जंगलों में भड़कती हुई आग को बुझाने की कोशिश में जुटे रहे। यह आग 15 अक्टूबर से लग रखी है और 15 अक्टूबर से लेकर 10 नवंबर तक इस आग ने उत्तरकाशी के तीन वन प्रभावों के कुल 35 हेक्टेयर से अधिक जंगलों को राख कर दिया है। उत्तरकाशी के जंगलों में यह आग पिछले कई दिनों से लगी हुई है। जंगलों में लगातार आग को देखते हुए प्रभागीय वन अधिकारी दीप चंद आर्य ने आमजन से यह अपील की थी लेकिन उसके बावजूद भी आग घटनाओं में भी कमी नहीं आई। बीते सोमवार को बाड़ाहट रेंज क्षेत्र में लगी आग भेंद्रडांडा के जंगलों तक फैल गई जिसके बाद वह आउट ऑफ कंट्रोल हो गई। पहले वन विभाग ने आग पर काबू पाने की कोशिश की। जब वन विभाग आग पर काबू नहीं पा सका तो वन विभाग के अधिकारियों ने आईटीबीपी के जवानों से मदद मांगी।
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आईटीबीपी के 35वीं वाहिनी के सेनानी तुरंत ही वन विभाग के साथ आग बुझाने की मुहिम में जुट गए। सेनानी अशोक सिंह बिष्ट और उनके सहायक सेनानी वेद प्रकाश एवं उप निरीक्षक शेशराज के नेतृत्व में तकरीबन 35 हिम वीरों को आग बुझाने के लिए भेजा गया। जवानों ने वन विभाग की टीम के साथ कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार आग पर काबू पाया और जंगलों को जलने से बचाया। अगर ठीक समय पर जवाब नहीं आते तो परिस्थितियां और अधिक खराब हो जातीं। बता दें कि आईटीबीपी ने इससे पहले भी बीते 31 अक्टूबर को ओवरसियर रिजवानुल हक के नेतृत्व में 30 जवानों ने महिदंडा के विमलेश्वर और शुक्लेश्वर मंदिर में लगी भीषण आग को बुझाया था और लोगों की जान बचाई थी। 35 वीं वाहिनी के सेनानी अशोक सिंह बिष्ट ने बताया कि आपदा की घड़ी में आईटीबीपी 24 घंटे मदद के लिए तत्पर है।