image: Crack in the mastik of Dobra Chanti bridge

उत्तराखंड: डोबरा-चांठी पुल के मास्टिक में पड़ी दरार, जल्द होगा ट्रीटमेंट

उद्घाटन के कुछ ही दिन बाद डोबरा-चांठी पुल की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसे देख टिहरी की जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है।
Dec 2 2020 6:57PM, Writer:Komal Negi

डोबरा-चांठी पुल। टिहरी और प्रतापनगर वासियों की उम्मीदों का पुल। इस पुल को आकार लेने में पूरे 15 साल लगे। बीते नवंबर में राज्य स्थापना दिवस के मौके पर पुल को जनता को समर्पित कर दिया गया, लेकिन उद्घाटन के कुछ ही दिन बाद डोबरा-चांठी पुल की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसे देख टिहरी की जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। देश के पहले सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी पर बिछी मास्टिक के जोड़ो में दरार पड़ने लगी है। जिसके बाद डोबरा-चांठी पुल का निर्माण करने वाली गुप्ता कंपनी एक बार फिर सवालों के घेरे में है। पुल का उद्घाटन हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ और पुल के मास्टिक में दरारें पड़ने लगी हैं। इसे लेकर लोगों की चिंता जायज है। टिहरी में बने डोबरा-चांठी पुल के निर्माण के लिए प्रतापनगर के लोग लंबे समय से आंदोलनरत थे। टिहरी झील के निर्माण के बाद से प्रतापनगर इलाका अलग-थलग पड़ा था। जनता की मांग पर साल 2005 में पुल का निर्माण शुरू हुआ। निर्माण के दौरान कई समस्याएं सामने आईं। आगे पढ़िए

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कभी गलत डिजाइन और कमजोर प्लानिंग ने समस्याएं खड़ी की तो कभी विषम परिस्थितियों ने रोड़े अटकाए। खैर 15 साल बाद आखिरकार पुल बनकर तैयार हो गया। 8 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से एक दिन पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुल का उद्घाटन किया था। पुल लोगों की आवाजाही के लिए खुल गया, लेकिन अब देश के सबसे लंबे सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज के ऊपर बिछे मास्टिक के जोड़ों में दरार पड़ने लगी है..स्थानीय लोगों ने निर्माणदायी संस्था गुप्ता कंपनी पर पुल निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही लोगों ने कंपनी के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है, जिसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज है। इस पुल की उम्र करीबन 100 साल तक बताई जा रही है। पुल के निर्माण पर करीब 3 अरब रुपये खर्च हुए। स्थानीय लोग पुल निर्माण से खुश हैं, लेकिन मास्टिक के जोड़ों पर पड़ी दरारों ने उनकी चिंता बढ़ाई है। वहीं लोनिवि अधिकारियों का कहना है कि पुल का मेंटेनेंस संबंधी कार्य 5 साल तक निर्माणदायी कंपनी ही करेगी, इसलिए मास्टिक पर पड़ी दरारों को ठीक करने के लिए कंपनी के कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं।


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