image: Ancient sculptures found in Piyasari village of Uttarakhand

उत्तराखंड के पंयासारी में जुटी लोगों की भीड़..गांव में लगातार मिल रही प्राचीन काल की मूर्तियां

उत्तरकाशी के गांव में मिली मूर्तियों को देख लगता है कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रभाव रहा होगा, इस क्षेत्र में रिसर्च किए जाने की जरूरत है।
Dec 20 2020 10:08PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड में ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। आध्यात्म के साथ-साथ इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यहां बहुत कुछ है। इतिहास की कुछ ऐसी ही अनमोल धरोहरें इन दिनों उत्तरकाशी में मिल रही हैं, जिन्हें देख लोग हैरान हैं। यहां जिला मुख्यालय से 46 किमी दूर धरासू-यमुनोत्री हाईवे के पास एक जगह है नामनगर, जहां इन दिनों प्राचीन मूर्तियां मिल रही हैं। हल्की खुदाई करते ही जमीन से मूर्तियां निकल आती हैं। ग्रामीण अब पुरातत्व विभाग से तीन किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में सर्वे कराने की मांग कर रहे हैं, ताकि यहां दफन सभ्यता के बारे में पता लग सके। डुंडा तहसील के पयांसारी गांव के पास स्थित नामनगर क्षेत्र में ग्रामीणों के पुराने घर हैं, लेकिन यहां कोई नहीं रहता। कहते हैं कि लगातार हो रही अप्रिय घटनाओं की वजह से ग्रामीणों ने इस जगह को छोड़ दिया था। यहां की कुछ जमीन राजकीय महाविद्यालय ब्रह्मखाल को दान कर दी गई थी। अब यहां कॉलेज का भवन बनना है। इन दिनों यहां खुदाई करने पर प्राचीन मूर्तियां और कलाकृतियां निकल रही हैं। इन कलाकृतियों में बौद्धकालीन प्रभाव साफ नजर आता है। आगे पढ़िए

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यहीं के पयांसारी गांव की रहने वाली 84 साल की अमरा देवी बताती हैं कि बुजुर्गों के अनुसार सदियों पहले नामनगर में एक बौद्ध राजा अपनी दो रानियों के साथ रहता था। एक रानी बौद्ध धर्म को मानती थी, जबकि दूसरी रानी सनातन धर्म का पालन करती थी। प्राचीन कथाओं के अनुसार बौद्ध राजा सनातनी देवी-देवताओं का अपमान करता था, जिसके चलते यहां भूस्खलन हुआ और राजा का पूरा गढ़ जमींदोज हो गया। भूस्खलन के प्रमाण यहां अब भी मिलते हैं। इस गांव में प्राचीन मंदिर और महल के स्तंभ के अलावा कई मूर्तियां भी मिली हैं। यहां खुदाई के दौरान निकली प्रतिमाओं को ग्रामीणों ने एक मंदिर में एकत्र किया हुआ है। ग्रामीण अब पुरातत्व विभाग से क्षेत्र का सर्वे करने की मांग कर रहे हैं, ताकि इतिहास के पन्नों में दफन राज सामने आ सकें। स्थानीय प्रशासन द्वारा इस संबंध में पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा जा रहा है।


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