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उत्तराखंड में धर्म परिवर्तन का पहला केस दर्ज..काज़ी समेत कई लोगों पर मुकदमा

उत्तराखंड के देहरादून में निकाह करने के लिए की युवती का धर्म परिवर्तन करवाने पर पुलिस ने धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत काजी समेत 4 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
Dec 30 2020 10:23PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड के धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत राज्य में पहला मुकदमा दर्ज किया गया है। धर्म परिवर्तन के मामले में देहरादून में एक लड़का लड़की और निकाह कराने वाले काजी समेत चार लोगों के खिलाफ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आपको बता दें कि उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम बनने के बाद से उत्तराखंड का यह पहला मामला है। देहरादून के पटेल नगर कोतवाली में यह मामला दर्ज हुआ है और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। निकाह के लिए लड़की का धर्म परिवर्तन करवाने का मामला सामने आया है। सबसे पहले आपको यह बताते हैं कि यह धर्म स्वतंत्रता अधिनियम आखिर है क्या। 2018 में बने इस अधिनियम के तहत राज्य में प्रलोभन, जबरन, जानबूझकर विवाह या गुप्त एजेंट के जरिए अगर किसी ने भी धर्म परिवर्तन किया तो वह अपराध माना जाएगा।

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अगर अब राज्य में किसी ने बलपूर्वक धर्म परिवर्तन किया तो 1 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक आरोपी को जेल भेजा जा सकेगा। धर्म परिवर्तन के लिए 1 महीने पहले जिला प्रशासन को सूचित करना अनिवार्य है। अगर प्रशासन को इस बारे में सूचित नहीं किया गया तो धर्म परिवर्तन अपराध की श्रेणी में आएगा। धर्म परिवर्तन के लिए जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष एक महीने पहले शपथ पत्र देना अनिवार्य है और समारोह की भी पूर्व सूचना देनी होगी। सूचना नहीं देने की स्थिति में इस को अमान्य करार दिया जाएगा और धर्म स्वतंत्रता कानून का उल्लंघन होने की स्थिति में 3 महीने से लेकर 1 वर्ष तक की सजा होगी। इस धर्म स्वतंत्रता अधिनियम बनने के बाद उत्तराखंड में पहला अपराध दर्ज हुआ है। उसके बाद पुलिस गहराई से मामले की जांच पड़ताल कर रही है। थाना प्रभारी प्रदीप राणा के अनुसार पिछले दिनों नया गांव पटेल नगर निवासी युवक ने हाईकोर्ट में अपनी सुरक्षा के लिए याचिका दायर की थी।

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इस मामले में हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया और देहरादून पुलिस को जांच करने के आदेश दिए। जब पुलिस ने गहराई से मामले की जांच-पड़ताल की जब सामने आया कि युवक की डेढ़ वर्ष पहले ही वसंत विहार की निवासी एक युवती के साथ ट्यूशन के दौरान जान-पहचान हुई थी। बालिग होने के कारण दोनों ने निकाह करने का फैसला लिया। इसके बाद सबसे पहले वे काजी के पास गए और युवती का धर्म परिवर्तन करा के उसका नाम बदल दिया और पिछले वर्ष 26 सितंबर को युवक के फूफा की मौजूदगी में निकाह करा दिया। जब इस मामले की जांच-पड़ताल की गई तब सामने आया कि यह धर्म-परिवर्तन धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के खिलाफ है और उसका पालन नहीं किया गया है। अधिनियम के अनुसार धर्म परिवर्तन से 1 महीने पहले प्रशासन को अवगत कराना होता है। इस मामले में युवक-युवती धर्म परिवर्तन कराने वाले काजी एवं युवक के फूफा दोषी पाए गए हैं और चारों के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। अधिनियम का उल्लंघन करने पर 3 महीने से 5 साल तक की कारावास की सजा का उल्लेख है। जुर्माना भी लग सकता है और इसी के साथ यह भी मुमकिन है कि धर्म परिवर्तन को शून्य घोषित कर दिया जाए। फिलहाल पुलिस ने दूसरे धर्म में परिवर्तित की गई युवती के साथ अन्य तीनों को गिरफ्तार कर लिया है और इन चारों के ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।


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