उत्तराखंड: बहुओं ने निभाया बेटे का फर्ज..परंपराएं दरकिनार कर सास की अर्थी को दिया कंधा
समाज की बेड़ियों को एक तरफ रख दो बहुओं ने जो काम किया है, वो वास्तव में काबिल-ए-तारीफ है। पढ़िए पूरी खबर
Jan 5 2021 4:02PM, Writer:Komal Negi
बेटियां हैं तो भविष्य है...अक्सर ये लाइनें हमने लोगों को कहते सुनते देखा है। लेकिन सबसे बड़ी बात है , इस कहावत को सार्थक करना। उत्तराखंड की इन दो बहुओं ने जो किया है, वो यही साबित करता है। आप सभी ने सुना और पढ़ा होगा कि हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी अर्थी को सिर्फ पुरुष ही कंधा देते हैं। पूरे देश में इसी परंपरा के तहत हिंदुओं का अंतिम संस्कार होता है। कई बार ये भी सुनने देखने में आता है कि पिता की अर्थी को बेटी ने कंधा दिया। लेकिन उत्तराखंड के हल्द्वानी में कुछ अलग हुआ है। यहं एक सास के लिए दो बहुएं बेटा बन गई। बुजुर्ग महिला की मृत्यु के बाद उनकी बहुओं ने उन्हें कांधा देकर विदा किया है। बहुओं केके इस काम की हर तरफ चर्चा हो रही है। अब पूरी खबर जानिए। पूरी खबर हल्द्वानी के गौलापार की है..आगे पढ़िए
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वालों के लिए गुड न्यूज..परिवहन विभाग ने दी बड़ी राहत
गौलापार इलाके में रहने वाली 84 साल की बुजुर्ग बसंती देवी रौतेला का रविवार रात निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार रानीबाग के चित्रशिला घाट पर किया गया। बसंती देवी के पति का पहले ही निधन हो चुका था। वो अपनी दो बहुओं और बच्चों के साथ ही रह रही थीं। बहु रीता और मोनिका ने जीवन भर उनकी मां की तरह सेवा की। सास के निधन के बाद से दोनों बहुएं शोकाकुल हैं। यही वजह है कि सोमवार को जब बसंती देवी की अर्थी घर से उठाई गई तो उनकी बहुओं रीता और मोनिका ने अर्थी को कांधे पर रख लिया। मोनिका रौतेला (भतीजे की पत्नी) और रीता रौतेला (पोते की पत्नी) ने अपनी सास को तकरीबन एक किमी तक कंधा दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी मां जैसी सास को भावभीनी विदाई दी। चिता को मुखाग्नि देने का काम पोते नवीन रौतेला, योगेश रौतेला और भतीजे जगमोहन रौतेला ने दी। कई लोग इसे अच्छा फैसला बता रहे हैं, तो कई ऐसे भी हैं, जो इसे गलत कह रहे हैं। इन सबके बीच ये बात जरूर है कि आज के दौर में सास और बहुओं के बीच ऐसा भी प्यार है।