उत्तराखंड: पूर्व MLA के चुनाव लड़ने की खबरों से मची सियासी हलचल..अब क्या करेगी कांग्रेस ?
पूर्व विधायक महेंद्र सिंह माहरा ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताकर कांग्रेस पार्टी को धर्मसंकट में डाल दिया है। क्योंकि माहरा जिन सीटों से टिकट मांग रहे हैं, वहां पार्टी के पास पहले ही कई मजबूत दावेदार हैं।
Feb 1 2021 6:44PM, Writer:Komal Negi
साल 2022 का चुनावी रण करीब है। दूसरी पार्टियां जहां चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं तो वहीं प्रदेश कांग्रेस में आपसी गुटबाजी और गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं चुनाव की तैयारियों पर हावी हो गई हैं। एक तरफ मुख्यमंत्री के ‘चेहरे’ को लेकर सियासी घमासान मचा है, तो वहीं चंपावत में पूर्व विधायक रहे महेंद्र सिंह माहरा भी चुनाव लड़ने का मंसूबा पाले बैठे हैं। पूर्व कृषि मंत्री और लोहाघाट के विधायक रहे महेंद्र सिंह माहरा ने पार्टी हाईकमान से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। पूर्व विधायक माहरा की इस इच्छा ने कांग्रेस पार्टी को धर्मसंकट में डाल दिया है। क्योंकि महेंद्र सिंह माहरा जिन सीटों से टिकट मांग रहे हैं, उन पर पहले ही कई मजबूत दावेदार हैं। वहीं सूत्रों की मानें तो महेंद्र सिंह माहरा ने चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है। उन्होंने पार्टी हाईकमान से लोहाघाट या फिर चंपावत विधानसभा सीट से टिकट देने की मांग की।
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महेंद्र सिंह माहरा के तेवर देख हर कोई हैरान है। माहरा अभी इस बारे में खुलकर बात नहीं कर रहे, लेकिन उन्होंने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। महेंद्र सिंह माहरा मूलरूप से चंपावत विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं। वो स्थायी रूप से एबटमाउंट में रहते हैं, हालांकि उनका परिवार पिथौरागढ़ में रहता है। महेंद्र सिंह माहरा पूर्व सीएम हरीश रावत के निकट सहयोगी रहे हैं। अब उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताकर राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। हालांकि जिन सीटों से महेंद्र सिंह माहरा टिकट मांग रहे हैं, वहां कांग्रेस के पास पहले से ही कई मजबूत दावेदार हैं। इस बारे में महेंद्र सिंह माहरा के निकट सहयोगी एवं मंडी परिषद के पूर्व निदेशक डीडी पांडेय का कहना है कि महेंद्र सिंह माहरा के पास लंबा राजनैतिक अनुभव है। सरल और मृदु स्वभाव के चलते वो जनता के बीच लोकप्रिय भी हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने क्षेत्र में कई विकास कार्य कराए। अगर कांग्रेस उन्हें अपना उम्मीदवार बनाती है तो वो दूसरे उम्मीदवारों पर निश्चित तौर पर भारी पड़ेंगे।