चमोली आपदा: घरों में कैद हो गए 360 परिवार,अलग थलग पड़े 13 गांव..रोजगार भी खत्म
आपदा ने रैणी क्षेत्र के भूगोल को ही बदल कर रख दिया। 13 गांवों का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। क्षेत्र के 360 परिवार आपदा के बाद से अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं।
Feb 12 2021 11:54AM, Writer:Komal Negi
चमोली में त्रासदी ने कई लोगों की जिंदगी को निगल लिया। बेलगाम सैलाब अपने पीछे कई कहानियां छोड़ गया। हमेशा शांत होकर बहने वाली ऋषिगंगा नदी का कभी ऐसा खौफनाक रूप भी देखने को मिलेगा, ये किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा ही हुआ। चमोली में आई आपदा को छह दिन हो चुके हैं। रेस्क्यू टीमों ने अब तक 36 शव बरामद किए हैं, जबकि 168 लोग अब भी लापता हैं। वहीं तपोवन टनल में फंसे 35 लोगों को बचाने का काम युद्धस्तर पर जारी है। आपदा ने चमोली के रैणी क्षेत्र के भूगोल को ही बदल कर रख दिया। 13 गांवों का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है।
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नीती घाटी के 360 परिवार आपदा के बाद से अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं। उनके सामने आवाजाही के साथ ही रोजगार की भी चुनौती है। जिन लोगों की आजीविका तपोवन क्षेत्र से जुड़ी थी, वो समझ नहीं पा रहे कि अब क्या करें। नीती घाटी के कई लोगों की तपोवन में दुकानें थीं। आपदा के बाद से यहां का रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है, जिस वजह से लोग अपनी दुकानों तक नहीं जा पा रहे। सीमा क्षेत्र में होने के कारण नीती घाटी के गांवों को द्वितीय रक्षा पंक्ति के गांव भी कहते हैं। इन गांवों में भोटिया जनजाति के ग्रामीण रहते हैं। बीते रविवार आई आपदा में जोशीमठ-मलारी हाईवे पर रैणी गांव में स्थित 90 मीटर लंबा मोटर पुल बह गया।
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जिसके बाद से क्षेत्र के ग्रामीण अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं। जिन लोगों की तपोवन और जोशीमठ में दुकानें हैं, वो दुकानों में नहीं जा पा रहे। तोलमा गांव में रहने वाले संजय ने बताया कि उनकी जोशीमठ में दुकान है, लेकिन आपदा के बाद वो बेरोजगार हो गए हैं। सुराईंथोटा के सोहन की भी तपोवन में दुकान थी, लेकिन अब दुकान का न जाने क्या हाल होगा। पेंग गांव के शंकर कहते हैं कि आपदा के बाद से जिंदगी सिमट गई है। हम अब पूरी तरह प्रशासन की मदद पर निर्भर हैं। मुश्किलों का अंतहीन दौर शुरू हो गया है, जो ना जाने कब खत्म होगा।