चमोली आपदा: टिफिन में ही रह गईं मां की बनाई रोटियां..सैलाब में बह गया बेटा
आपदा के वक्त ओमप्रकाश के पिता प्रेम सिंह फर्स्वाण उनके लिए टिफिन में रोटियां लेकर जा रहे थे, लेकिन भाग्य की विडंबना देखिए, बेटे के लिए ले जाई जा रही रोटियां टिफिन में ही रह गईं।
Feb 25 2021 6:12PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड का चमोली जिला आपदा से कराह रहा है। यहां 7 फरवरी को आई जलप्रलय कई परिवारों को कभी न भूलने वाला दर्द दे गई। इस आपदा में जिन लोगों ने अपनों को खो दिया, उनके दर्द को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। चमोली के करछौं गांव में रहने वाले ओमप्रकाश फर्स्वाण का परिवार भी इस वक्त ऐसे ही दर्द से गुजर रहा है। ओमप्रकाश फर्स्वाण तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की टनल में पंप पर ड्यूटी के दौरान जलप्रलय की चपेट में आ गए थे, तब से उनका कुछ पता नहीं चला। आपदा के वक्त ओमप्रकाश के पिता प्रेम सिंह फर्स्वाण उनके लिए टिफिन में रोटियां लेकर जा रहे थे, लेकिन भाग्य की विडंबना देखिए, बेटे के लिए ले जाई जा रही रोटियां टिफिन में ही रह गईं। पहाड़ से आए सैलाब ने चंद सेकेंड के भीतर सबकुछ तबाह कर दिया था।
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आपदा में जिन लोगों ने अपने लाडलों को गंवा दिया, उनकी उम्मीदें टूटने लगी हैं, लेकिन ओमप्रकाश के पिता प्रेम सिंह को अब भी यकीन है कि उनका बेटा जरूर लौटेगा। इसी उम्मीद में वो हर दिन रेस्क्यू स्थल पर पहुंच जाते हैं। पिता प्रेम सिंह ने बताया कि उनका बेटा ओमप्रकाश परियोजना में पंप पर काम करता था। आपदा वाले दिन रविवार था। जिस वजह से ओमप्रकाश बिना कुछ खाये सुबह ही काम पर चला गया। खेत से लौटने पर ओमप्रकाश की मां चंद्रकला को जब ये बात पता चली तो उन्होंने तुरंत रोटियां बनाई और मुझसे बेटे को टिफिन दे आने को कहा। मैं तपोवन पहुंचा ही था कि अपनी आंखों के आगे धौलीगंगा का रौद्ररूप देखकर जड़वत रह गया। आपदा ने कुछ नहीं छोड़ा। ओमप्रकाश अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। घर पर पत्नी रिंकी और छह महीने की बेटी ईशानी है। आपदा ने हमसे सबकुछ छीन लिया। ओमप्रकाश के चले जाने से परिवार का सहारा चला गया, अब हमारी जिंदगी में ‘जिंदगी’ जैसा कुछ नहीं रहा।