पहाड़ के दो फौजी भाइयों को बधाई..यूपी में बने हाफ मैराथन के विजेता और उपविजेता
उत्तराखंड के रहने वाले दर्शन सिंह और उनके भाई हरि सिंह हाफ मैराथन में पहले और दूसरे स्थान पर रहे। दोनों भाइयों ने सैकड़ों लोगों को पीछे छोड़ते हुए विजेता का खिताब अपने नाम किया।
Mar 2 2021 12:29AM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड के धावक दर्शन सिंह को बधाई। दर्शन सिंह यूपी के भदोही में हुई भदोही हाफ मैराथन में सैकड़ों प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल करने में सफल रहे। उन्होंने 21 किमी की दूरी 1 घंटे, पांच मिनट और 9 सेकेंड में पूरी कर हर किसी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। उत्तराखंड के अल्मोड़ा से आये सेना के दो जवानों ने पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया और दोनो सगे भाई हैं। यही नहीं मैराथन में जो युवक दूसरे स्थान पर रहा, उनका नाम हरि सिंह है। हरि सिंह मैराथन के फर्स्ट विनर रहे दर्शन सिंह के बड़े भाई हैं। उन्होंने 1 घंटे छह मिनट और 1 सेकेंड में मैराथन पूरी की। हाफ मैराथन के बाद हर किसी की जुबान पर इन पहाड़ी भाईयों के चर्चे थे। मैराथन में गोरखपुर के वासुदेव निषाद तीसरा स्थान हासिल करने में सफल रहे। भदोही के ज्ञानपुर में हुई हाफ मैराथन का आयोजन युवा फ्रेंड्स फाउंडेशन के तत्वावधान में किया गया। रविवार को हुई मैराथन में बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। उन्होंने हरी झंडी दिखाकर धावकों को रवाना किया। मैराथन में यूं तो सैकड़ों लोग हिस्सा ले रहे थे, लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ी युवा शुरू से ही सभी प्रतिभागियों पर हावी रहे।आगे पढ़िए
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धावकों में उत्तराखंड के दर्शन सिंह पहले स्थान पर रहे, जबकि उनके भाई हरि सिंह दूसरा स्थान हासिल करने में सफल रहे। इन दोनों ने गोपीगंज पहुंचने से पहले ही बढ़त बनाते हुए अन्य धावकों को काफी पीछे छोड़ दिया था। मैराथन के दौरान धावकों ने 21 किलोमीटर की दूरी कदमों से नाप डाली। जब धावक सड़क पर दौड़ रहे थे तो सड़क किनारे खड़े लोगों ने तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया। ग्रामीण अंचल में हुई ये प्रतियोगिता कई मायनों में खास रही। जिसमें उत्तराखंड के भाईयों ने सबको पीछे छोड़ दिया। मैराथन का समापन मूसीलाटपुर जिला स्टेडियम में हुआ। जहां विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। पहला स्थान हासिल करने वाले दर्शन सिंह को 71 हजार, दूसरे स्थान पर आने वाले हरि सिंह को 41 हजार और तीसरा स्थान हासिल करने वाले वासुदेव निषाद को 21 हजार रुपये का पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।