image: Uttarakhand CM battered bungalow

उत्तराखंड का अभिशप्त बंगला..यहां जो भी CM ठहरा, उसने कुर्सी गंवाई

इस बंगले के बारे में कहा जाता है कि यहां रहने वाला मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल कभी पूरा नहीं कर पाता। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री का अभिशप्त बंगला एक बार फिर चर्चा में है।
Mar 9 2021 6:48PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड में चार दिन से जारी सियासी अनिश्चितता के बीच सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज इस्तीफा दे दिया। जन लोकप्रिय नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। माना जा रहा था कि वो मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, लेकिन वो भी अपनों की राजनीति का शिकार हो गए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री का अभिशप्त बंगला एक बार फिर चर्चा में है। इस बंगले के बारे में कहा जाता है कि यहां रहने वाला मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल कभी पूरा नहीं कर पाता। त्रिवेंद्र सिंह रावत से पहले इस बंगले को अपना आशियाना बनाने वाले चार मुख्यमंत्रियों को वक्त से पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री होना पड़ा। इस बंगले से कई मिथक जुड़े हैं। स्व. एनडी तिवारी के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के रहने के लिए दून में आलीशान बंगला तैयार किया गया था। साल 2007 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। बीजेपी सत्ता में आई। मुख्यमंत्री के तौर पर बीसी खंडूरी ने शपथ ली। लेकिन ढाई साल के भीतर ही उनकी कुर्सी चली गई।

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इसके बाद सीएम बने डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, वो भी इसी बंगले में रहने लगे। डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। साल 2012 में कांग्रेस दोबारा सत्ता में आई। विजय बहुगुणा सीएम बने, उस समय तक इस बंगले को अभिशप्त बंगले के तौर पर पहचाना जाने लगा था, लेकिन अपने अलग अंदाज के लिए मशहूर विजय बहुगुणा ने इन चर्चाओं पर विश्वास नहीं किया और बंगले में रहने लगे। थोड़े ही वक्त बाद बंगले ने अपना रंग दिखाया और विजय बहुगुणा से भी सीएम की कुर्सी छिन गई। उनके बाद हरीश रावत सीएम बने। पूर्व सीएम हरीश रावत इस मामले में अलग रहे, उन्होंने अपने कार्यकाल में इस बंगले की तरफ झांका भी नहीं और बीजापुर गेस्ट हाउस के एक हिस्से को अपना आशियाना बनाए रखा। साल 2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बंगले को अपना आशियाना बनाया। अभिशाप का असर न हो इसके लिए तमाम पूजाएं कराईं, लेकिन चार साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद आखिरकार उन्हें भी सीएम पद छोड़ना पड़ा है।


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