image: Champawat dm visit village

पहाड़ में विकास के नाम पर हो रहे मजाक से डीएम भी हैरान, अधिकारियों को जमकर लगाई फटकार

चंपावत के नए डीएम ने क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का जायजा लिया तो कई हैरान करने वाली बातें पता चली। पढ़िए पूरी खबर
Mar 24 2021 7:25PM, Writer:Komal Negi

जो लोग अक्सर जिंदगी से शिकायत करते रहते हैं, उन्हें उत्तराखंड के गांवों में एक बार जरूर जाना चाहिए। पहाड़ के इन गांवों में रहने वालों की जिंदगी पहाड़ सी कठिन है, लेकिन इस संघर्ष को ग्रामीणों ने अपना साथी बना लिया है। पहाड़ के कई गांवों में आज भी सड़कें नहीं है, बिजली नहीं है, पानी नहीं है। हाल में जब चंपावत के नए डीएम ने क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का जायजा लिया तो कई हैरान करने वाली बातें पता चलीं। गांवों का दौरा करने के बाद वो निराश होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और गांवों के हालातों पर नाराजगी जताई। डीएम विनीत तोमर ने कहा कि सीमांत क्षेत्र के विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपये आते हैं, विभागीय दफ्तरों में योजनाएं भी बनती हैं, लेकिन सीमांत इलाकों में विकास के नाम पर उन्हें कुछ नहीं दिखा। जब डीएम ऐसा कह रहे हैं, तो सोचिए यहां के हालात कितने खराब होंगे। डीएम ने गांवों की बदहाली पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को दफ्तरों से बाहर निकल कर विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के निर्देश दिए। डीएम विनीत तोमर ने चार्ज संभालते वक्त कहा था कि वो पहले जिले के हर क्षेत्र का दौरा कर विकास कार्यों को देखेंगे। उसके बाद ही विकास योजनाओं का खाका तैयार कर शासन को भेजेंगे।

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड से दिल्ली पहुंचा सड़क का मामला..जंतर मंतर पर नंदप्रयाग-घाट रोड के लिए प्रदर्शन
सोमवार को डीएम और एसपी लोकेश्वर सिंह तामली में हुए बहुउद्देशीय शिविर के बाद गांवों का निरीक्षण करने पैदल ही निकल पड़े..इस दौरान उन्हें घने जंगल के बीच पथरीले रास्तों से गुजरते हुए 8 किमी का सफर पैदल तय करना पड़ा। तिरकुली, लेटी और सीम होते हुए डीएम चूका तक पहुंचे। मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचने पर डीएम ने इन गांवों की स्थिति बताई। उन्होंने बताया कि गांवों में स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है। डिजिटल युग में भी गांवों में नेटवर्क नहीं आता। बीएडीपी योजना के तहत सीमांत क्षेत्र के विकास के लिए हर साल करोड़ों का बजट आ रहा है, लेकिन धरातल पर कोई खास कार्य नहीं दिखा। उन्हें कई जगह वनाग्नि देखने को मिली, यहां फायर लाइन नहीं बनी थी। क्षेत्र के दौरे से वापस लौटने पर डीएम ने अधिकारियों से कहा कि वो ऑफिस में बैठकर नहीं, क्षेत्र में जाकर लोगों की जरूरत को देखते हुए योजनाएं प्रस्तावित करें, ताकि गांवों की स्थिति में सुधार हो सके।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home