उत्तराखंड: CM तीरथ के मुरीद हुए सुब्रमण्यम स्वामी..इस फैसले को बताया गेमचेंजर
तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेंद्र सरकार के एक और अहम फैसले को पलटते हुए देवस्थानम बोर्ड से चारधाम समेत सभी 51 मंदिरों को बाहर कर दिया है।
Apr 10 2021 12:57PM, Writer:Komal Negi
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की कमान संभालते ही प्रदेश में कुछ अहम फैसले लिए हैं। राज्य की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेते ही तीरथ सिंह रावत एक्शन मोड में दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने अब तक राज्य हित में कई अहम फैसलों पर अमल किया है और भूतकाल में त्रिवेंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में जो भी फैसले लिए थे अब उन फैसलों के ऊपर तीरथ सरकार में गहन सोच विचार किया जा रहा है। त्रिवेंद्र सरकार में लिए गए फैसलों में या तो जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं या उनको वापस लिया जा रहा है। इसी बीच तीरथ सिंह रावत ने एक बड़ा दांव चल दिया है जिसके बाद एक बार फिर से उत्तराखंड चर्चाओं का विषय बन चुका है। तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेंद्र सरकार के एक और अहम फैसले को पलटा दिया है और देवस्थानम बोर्ड से चारधाम समेत सभी 51 मंदिरों को बाहर कर दिया है। इस फैसले के बाद से चार धाम से में सभी मंदिरों में खुशी की लहर छा गई है और सभी धामों के पुरोहितों ने तीरथ सिंह रावत के इस फैसले की जमकर सराहना की है
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देवस्थानम बोर्ड से तो हम सभी वाकिफ होंगे। जी हां, वही देवस्थान बोर्ड जिसके अधीन त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चारधाम समेत 51 मंदिरों कर दिए थे। त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस फैसले के बाद चार धाम के पुरोहितों के बीच खासी नाराजगी देखने को मिली थी। बात तो यहां तक पहुंच गई थी कि भाजपा के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इसके खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दर्ज करवाई थी। दरअसल यह बोर्ड मंदिरों में होने वाले भ्रष्टाचार के ऊपर नजर रखने के लिए बनाया गया था और इसीलिए त्रिवेंद्र सरकार ने चार धाम समेत पहाड़ों के 51 मंदिरों को इस देवस्थानम बोर्ड के अधीन कर दिया था। राज्य सरकार का कहना था कि चार धाम देवस्थानम अधिनियम गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ और उसके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए गठित किया गया है जिसका मकसद है कि यहां पर आने वाले यात्रियों को कोई भी समस्याओं का सामना ना करना पड़े और उनको बेहतर सुविधाएं भी मिलें। इसी के साथ यह बोर्ड चारधाम समेत सभी मंदिरों की कार्यप्रणाली के ऊपर नजर भी रखेगा और इससे मंदिर में चढ़ने वाले चढ़ावे का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा।
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त्रिवेंद्र सरकार में लिए गए इस फैसले के बाद जमकर बवाल हुआ था और सभी धामों के पुरोहितों एवं पुजारियों ने इसका विरोध किया था। चार धाम देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रही चार धाम तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी पंचायत का कहना था कि सरकार केवल पहाड़ के ही 51 मंदिरों को ही कब्ज़ा करना चाह रही है। हरिद्वार और मैदानी क्षेत्र के मंदिरों, धार्मिक संस्थाओं को छूने की सरकार की हिम्मत नहीं है। भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने तो इस फैसले के खिलाफ कानूनी जंग लड़ डाली थी। उन्होंने इसके खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की थी। नैनीताल हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था जिसके बाद स्वामी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में रखने की भी चुनौती दी थी। कुल मिलाकर त्रिवेंद्र सरकार में लिए गए इस फैसले का जमकर विरोध हो रहा था मगर अब तीरथ सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया है और चारों धाम समेत सभी 51 मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड से बाहर कर दिया है। अब देवस्थानम बोर्ड इन मंदिरों के कार्य के बीच दखलंदाजी नहीं कर सकेगा। सीएम के फैसले से सभी तीर्थ पुरोहित बेहद खुश हैं और भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अलग ही अंदाज में अपनी खुशी जताई है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि भाजपा इसी वजह से भविष्य में अन्य दलों से बेहतर है।