उत्तराखंड: BJP के दिवंगत नेता की दो बेटियों का निधन..1 हफ्ते में परिवार से उठी 4 अर्थियां
उत्तराखंड भाजपा के वरिष्ठ नेता दिवंगत श्रीचंद के परिवार में 1 हफ्ते में उठीं 4 अर्थियां। श्री चंद और उनके पुत्र के निधन के बाद अब उनकी दोनों पुत्रियों की मृत्यु होने के बाद परिवार पर छाए दुख के बादल।
May 10 2021 12:27PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश में वन लॉ मिनिस्टर रहे दिवंगत श्रीचंद के परिवार पर दुखों के बादल छा गए हैं। ईश्वर की क्रूरता मानो खत्म नहीं हो रही है। 1 ही हफ्ते में घर से 4 अर्थियां उठना आखिर ईश्वर की क्रूरता नहीं तो और क्या है। 4 सदस्यों का एक ही सप्ताह के भीतर परलोक सिधार जाना आखिर किसे मंजूर होगा। पूर्व में वन एवं कानून मंत्री रहे दिवंगत श्री चंद के बेटे का 1 सप्ताह पहले निधन हुआ था। बेटे की मृत्यु के दो दिन बाद वे भी चल बसे। और अब यह दुखद खबर आ रही है कि श्री चंद की दो पुत्रियों का भी नैनीताल में निधन हो गया है। आखिर यह किसने सोचा था कि 1 सप्ताह के भीतर ही परिवार के चार सदस्य हमेशा-हमेशा के लिए मौन हो जाएंगे। आपको बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता के और उत्तर प्रदेश सरकार में वन एवं कानून मंत्री भी रहे श्रीचंद कुछ समय से चलने में असमर्थ होने के कारण हल्द्वानी में रह रहे थे और उनका अधिकांश जीवन नैनीताल में ही बीता। उन्होंने 85 साल की आयु में हल्द्वानी के आवास में सुबह अंतिम सांस ली। दो रोज पहले उनके बेटे मुकेश का भी निधन हो गया था। उनके बेटे मुकेश कुमाऊं विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग में कार्यरत थे। 2 दिनों के अंदर ही परिवार के 2 सदस्यों की मृत्यु के शोक में डूबे परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ इस कदर टूटा कि नैनीताल में रह रहीं श्रीचंद की दोनों पुत्रियों मीना और मंजू का भी हाल ही में निधन हो गया।
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उनके परिवार के निकट पड़ोसी और घनिष्ठ मित्र भाजपा से जुड़े पुनीत टंडन ने जानकारी देते हुए बताया कि श्रीचंद की लगभग 60 वर्षीय दोनों पुत्रियां अविवाहित थीं और दोनों अपने भाइयों के साथ नैनीताल के भाभर हॉल में रहती थीं। 7 मई को मीना और मंजू का स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद उनके परिजन उनको लेकर हल्द्वानी के अस्पताल में गए लेकिन इससे पहले ही एक बहन की रास्ते में मृत्यु हो गई जबकि दूसरी बहन का हल्द्वानी के अस्पताल में निधन हो गया है। दिवंगत नेता श्रीचंद उत्तर प्रदेश में 1977 से लेकर 1979 तक वन एवं कानून मंत्री के तौर पर कार्यरत रहे थे और 1977 में वह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे जिसके बाद उन्होंने वर्ष 2001 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और 2002 और 2007 में मुक्तेश्वर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। दिवंगत श्रीचंद की पत्नी का कई साल पहले ही निधन हो गया था। श्रीचंद के परिवार में अब केवल उनके दो पुत्र संजय और सुनील बचे हैं।