उत्तराखंड में 50 साल बाद मिला दुर्लभ एग ईटर स्नेक..जीव विज्ञानियों में खुशी की लहर
दुर्लभ एग ईटर सांप का पता चलने पर वन विभाग से संपर्क किया गया। सांप को सुरक्षित बचाकर जंगल में छोड़ दिया गया है।
Jun 5 2021 1:49PM, Writer:Komal Negi
जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड के लिए एक अच्छी खबर कालागढ़ रेंज से आई। यहां कई दशकों बाद दुर्लभ प्रजाति के इंडियन एग ईटर सांप को देखा गया है। इस सांप को करीब 50 साल पहले विलुप्त प्रजाति घोषित कर दिया गया था। अब इसके अचानक सामने आने से जीव विज्ञानी भी हैरान हैं। दुर्लभ इंडियन एग ईटर सांप को कॉर्बेट नेशनल पार्क की कालागढ़ रेंज से रेस्क्यू किया गया। वन विभाग उत्तराखंड के जंगलों में इसके मिलने से उत्साहित है। वन अधिकारियों ने सांप को जंगल में छुड़वाकर उसकी निगरानी के निर्देश दिए हैं। ताकि इस दुर्लभ जीव के रहन-सहन के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाई जा सके। बीते बुधवार को वन विभाग की रेस्क्यू टीम को एक घर के पास सांप दिखने की सूचना मिली थी। रेस्क्यू टीम प्रभारी दीपक कुमार वनकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे, तो वहां एक खूबसूरत सांप दिखाई दिया।
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सांप के सिर पर नारंगी लकीरें थीं, उसकी पीठ भूरे रंग की थी। ये करीब आधा मीटर लंबा था। वनकर्मियों ने इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी। जिसके बाद वो भी मौके पर पहुंच गए। उप प्रभागीय वनाधिकारी कुंदन सिंह खाती और कॉर्बेट के वार्डन आरके तिवारी ने सांप की पहचान इंडियन एग ईटर के रूप में की। ये सांप पक्षियों के अंडे खाता है और ज्यादातर पेड़ों पर ही रहता है। ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में मिलने वाला ये सांप एक मीटर तक ही लंबा हो सकता है। एक बार में यह सांप 40 से 50 अंडे देता है, इसलिए वन विभाग के अधिकारियों ने अंदेशा जताया है कि वन क्षेत्र में इस प्रजाति के और भी सांप पाए जा सकते हैं। दुर्लभ प्रजाति का यह सांप वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत श्रेणी-एक में आता है। उत्तराखंड में इंडियन एग ईटर की मौजूदगी के सबूत मिलने से वन महकमा बेहद उत्साहित है।