उत्तराखंड: इस जिले के युवक को मिला भांग की खेती का पहला लाइसेंस, फ्रांस से मंगाए गए नशा विहीन बीज
भांग की खेती की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते। इसका इस्तेमाल दवाएं, शैंपू और साबुन बनाने में होता है। तने से बायोफ्यूल और फाइबर से कपड़े भी बनाए जा सकते हैं।
Jul 6 2021 9:35PM, Writer:Komal Negi
पलायन से जूझ रहे पहाड़ में भांग रोजगार का जरिया बनेगा। भांग की खेती के जरिए दम तोड़ती कृषि को जीवनदान देने की योजना पर काम चल रहा है। कई जिलों में भांग की खेती भी शुरू हो गई है। इन जिलों में सीमांत जिला बागेश्वर भी शामिल है। यहां हिमालयन मॉक कंपनी को भांग की खेती का लाइसेंस मिला है। लाइसेंस हासिल करने वाली कंपनी हैंप कल्टीवेशन पायलट प्रोजेक्ट के तहत फ्रांस से भांग के बीज मंगाकर उत्तराखंड में खेती करेगी। इंडस्ट्रियल हैंप या भांग की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इसमें टेट्रा हाइड्रो केनबिनोल यानी नशे की मात्रा महज 0.3 प्रतिशत होती है। जिले में भांग की खेती को प्रोत्साहन देकर रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे, इससे काश्तकारों की आय भी दोगुनी होगी।
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गरुड़ तहसील के भोजगण में रहने वाले प्रदीप पंत जिले के पहले ऐसे शख्स हैं, जिन्हें भांग की खेती का लाइसेंस दिया गया है। वो जल्द ही अपने यहां नशाविहीन भांग की खेती शुरू करने वाले हैं। इसके लिए फ्रांस से भांग के बीज मंगाए जा रहे हैं, जिसमें नशे की मात्रा 0.3 प्रतिशत से भी कम होती है। भांग का इस्तेमाल दवाएं बनाने में होगा। इसके लिए प्रदीप पंत का एक मेडिकल कंपनी के साथ करार होने वाला है। भांग की खेती की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते। जंगली जानवरों के उत्पात की वजह से ही पहाड़ में लोग खेती-किसानी से मुंह मोड़ रहे हैं।
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खेती न होने से जमीनें बंजर हो गई हैं। प्रदीप पंत बताते हैं कि पिथौरागढ़ और चंपावत के कई काश्तकार भी उनसे संपर्क कर रहे हैं, भांग की खेती की जानकारी ले रहे हैं। ये बहुउपयोगी पौधा है। इसके तेल से साबुन, शैंपू और दवाएं बनाई जाती हैं। भांग से निकलने वाले सेलूलोज से कागज बनेगा, हैंप प्लास्टिक तैयार होगी। जो कि बायोडिग्रेडिबिल होगी। हैंप प्रोटीन बेबी फूड और बॉडी बिल्डिंग में यूज होगा। इसके फाइबर से कपड़े बनाए जा सकते हैं, जबकि तने से बायोफ्यूल तैयार होगा। प्रदीप ने बताया कि उनकी कंपनी गांव में भांग की प्रोसेसिंग यूनिट लगाएगी। वो भांग की खेती के साथ ही पहाड़ के अन्य उत्पादों पर भी काम करने की योजना बना रहे हैं, ताकि क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकें।