उत्तराखंड मांगे भू कानून, देहरादून के घंटाघर पर युवा शक्ति ने भरी हुंकार..देखिए वीडियो
सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं बल्कि अब सड़क पर भी युवा उतरने लगे हैं। ऐसी ही एक तस्वीर देहरादून से आई है। ये वीडियो देखिए
Jul 18 2021 3:55PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड में इन दिनों सशक्त भू कानून की मांग की जा रही है। सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं बल्कि अब सड़क पर भी युवा उतरने लगे हैं। ऐसी ही एक तस्वीर देहरादून से आई है। ये वीडियो देहरादून के घंटाघर का है जहां कानून के समर्थन में युवा सड़क पर उतर गए। युवाओं की मांग है कि उत्तराखंड में हिमाचल जैसा सशक्त वो कानून लाया जाए जिससे बाहर के लोग उत्तराखंड में जमीन न खरीद सकें। बारिश के मौसम में भी नौजवान घंटाघर पर खड़े रहे और सशक्त भू कानून की मांग करते रहे। युवाओं का कहना है कि अगर हमें अपनी जमीन बचानी है तो सशक्त भू कानून का लागू होना बेहद जरूरी है। हालात अब यहां तक पहुंच चुके हैं कि युवाओं को सड़क पर उतरना पड़ रहा है। लग रहा है कि पहाड़ के लोग अब पिछले भू कानून में सुधार लाकर ही चैन की सांस लेंगे। ये ही एक लड़ाई है जो उत्तराखण्ड के हक हकूक की लड़ाई है या यूं कहें कि अपने अधिकारों की लड़ाई है। अब सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हो गया है कि उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लाने की बात हो रही है? एक रिपोर्ट के मुताबिक जब उत्तराखंड राज्य बना था, उसके बाद साल 2002 तक अन्य राज्यों के लोग उत्तराखंड में सिर्फ 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकते थे। 2007 में यह सीमा 250 वर्गमीटर की गई। इसके बाद 6 अक्टूबर 2018 में सरकार द्वारा नया अध्यादेश लाया गया। इसके मुताबिक “उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम,1950 में संसोधन का विधेयक पारित किया गया और इसमें धारा 143 (क) धारा 154(2) जोड़ी गई। यानी पहाड़ो में भूमिखरीद की अधिकतम सीमा ही समाप्त कर दी। आगे देखिए वीडियो
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एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 के आकडों पर नजर डालें तो उत्तराखण्ड की कुल 8,31,227 हेक्टेयर कृषि भूमि 8,55,980 परिवारों के नाम दर्ज थी l इनमें 5 एकड़ से 10 एकड़, 10 एकड़ से 25 एकड़ और 25 एकड़ से उपर की तीनों श्रेणियों की जोतों की संख्या 1,08,863 थी। इन 1,08,863 परिवारों के नाम 4,02,22 हेक्टेयर कृषि भूमि दर्ज थी, यानी राज्य की कुल कृषि भूमि का लगभग आधा भाग ! बाकी 5 एकड़ से कम जोत वाले 7,47,117 परिवारों के नाम मात्र 4,28,803 हेक्टेयर भूमि दर्ज थी l उपरोक्त आँकड़े दर्शाते हैं कि, किस तरह राज्य के लगभग 12 फीसदी किसान परिवारों के कब्जे में राज्य की आधी कृषि भूमि है और बची 88 फीसदी कृषक आबादी भूमिहीन की श्रेणी में पहुँच चुकी है। आगे पढ़िए हिमाचल का भू-कानून क्या कहता है।