जाको राखे साईयां..उत्तरकाशी आपदा के बीच चमत्कार, जिसके बचने की उम्मीद न थी, वो लौट आया
रविवार को जब आपदा का सैलाब आया तो गैणा सिंह मलबे से दबे घर के अंदर ढाई घंटे तक फंसे रहे। परिजनों ने उनके जीवित बचे होने की उम्मीद छोड़ दी थी। आगे पढ़िए पूरी खबर
Jul 20 2021 2:32PM, Writer:Komal Negi
उत्तरकाशी के मांडो गांव में आई आपदा ने कई जिंदगियों को लील लिया। हालांकि इस दौरान कुछ खुशनसीब ऐसे भी थे, जो मौत को चकमा देने में कामयाब रहे। इन लोगों का आपदा के दौरान बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं। 75 साल के गैणा सिंह ऐसे ही चंद खुशनसीब लोगों में से एक हैं। रविवार को जब आपदा का सैलाब आया तो गैणा सिंह मलबे से दबे घर के अंदर ढाई घंटे तक फंसे रहे। परिजनों ने उनके जीवित बचे होने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन कहते हैं ना ‘जाखो राखे साइयां मार सके न कोय’। गैणा सिंह भी मौत को चकमा देकर बच निकले। मलबे में दबे होने के ढाई घंटे बाद इस बुजुर्ग को सकुशल निकाल लिया गया। रविवार को बारिश की शक्ल में आई आपदा ने मांडो, निराकोट और कंकराड़ी में जमकर तबाही मचाई। प्रकृति का भयावह रूप देखकर हर कोई यहां-वहां भाग रहा था। मांडो गांव में जलप्रलय ने कई घरों को जमीदोंज कर दिया। 3 लोगों की जान चली गई।
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डरे हुए लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित जगह की ओर निकल गए, लेकिन बुजुर्ग गैणा सिंह ऐसा नहीं कर पाये। परिजनों ने बताया कि गैणा सिंह अपने भाई के बच्चों के साथ रहते हैं, घटना के वक्त वो घर में सो रहे थे। तभी अचानक पानी के साथ मलबा तबाही लेकर आया। इस बीच घर के सदस्य किसी तरह वहां से भाग गए, लेकिन बुजुर्ग घर में फंसे रह गए। इस दौरान बुजुर्ग का भतीजा बुजुर्ग को लेने आया, लेकिन तब तक मलबा आने के कारण बुजुर्ग का भतीजा भी मलबे की चपेट में आ गया। उसकी जान भी बड़ी मुश्किल से बच सकी। बाद में जब सैलाब गुजर गया तो स्थानीय युवा और पुलिस बुजुर्ग के घर पर पहुंचे, वहां घर के दरवाजे पर मलबा जमा था। बाद में पीछे का दरवाजा तोड़कर बुजुर्ग को सुरक्षित बाहर निकाला गया। गैणा सिंह को जिंदा देखकर हर कोई खुश था, साथ ही हैरान भी। बाद में बुजुर्ग को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।