उत्तराखंड भू कानून: जिनको बेची अपनी जमीन, अब उनके यहां नौकरी करने को मजबूर युवा!
अगर पहाड़ में जमीनें यूं ही सस्ते दाम पर बिकती रहीं तो एक दिन हम भू-स्वामी के बजाय अपनी ही जमीनों पर पनप रहे होटल-रिजॉर्ट में कर्मचारी बनकर रह जाएंगे।
Jul 30 2021 10:00PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की जरूरत है। राज्य में बाहरी पूंजीपति जमीन की खरीद-फारोख्त कर रहे हैं। यहां की जमीन पर भू-माफिया की नजर लगी हुई है। यही वजह है कि प्रदेश का हर नागरिक भू-कानून का समर्थन कर रहा है। सोशल मीडिया पर चल रही मुहिम के चलते भू-कानून का मुद्दा अब सियासी विमर्श में शामिल हो गया है। लोग कह रहे हैं कि अगर पहाड़ में जमीनें यूं ही सस्ते दाम पर बिकती रहीं तो एक दिन हम भू-स्वामी के बजाय अपनी ही जमीनों पर उगे पर्यटन कारोबार में कर्मचारी बनकर रह जाएंगे, और ये डर यूं ही नहीं है। अब मुक्तेश्वर का ही मामला ले लें। यहां एक आदमी ने छह साल पहले अपनी 12 नाली में से चार नाली जमीन बेची। नोएडा के एक आदमी ने यहां रिजॉर्ट बनाया और अब जमीन के मालिक को वहीं काम मिल गया है। दूसरा मामला रामनगर के ढिकुली का है। यहां दो युवकों ने साल 2001 में अपनी जमीन बेच दी। साल 2005 में इन जमीनों पर रिजॉर्ट बना और अब जमीन के मालिक रहे ये दोनों भाई यहीं रिजॉर्ट में काम कर रहे हैं। आगे पढ़िए
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मसूरी-चंबा रोड पर स्थित सौड, जड़ीपानी, सनगांव, रौसलीधार और ठांगधार गांव की जमीनों पर कई बड़े-बड़े रिजॉर्ट बने हैं। जहां स्थानीय लोग कुक, चालक और वेटर का काम कर रहे हैं। प्रदेश में ऐसे कई उदाहरण सामने आ रहे हैं, जहां गांव वाले अपनी जमीन बेचकर,अब वहीं आठ दस हजार की नौकरी कर रहे हैं। वहीं स्थानीय लोग जो अपनी कृषि भूमि पर रिजॉर्ट बनवाना चाहते हैं, उनके लिए भी भू-परिवर्तन की राह आसान नहीं है। यमकेश्वर के रहने वाले अरुण जुगलान भी कुछ इसी तरह की दिक्कत का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यमकेश्वर के मोहनचट्टी क्षेत्र में 12 रिजॉर्ट खुले हैं। सभी रिजॉर्ट दिल्ली, हरियाणा राज्य के लोगों के हैं। यहां पर स्थानीय लोग 5-6 हजार रुपये की तनख्वाह पर काम कर रहे हैं। वो भी अपनी खेती की भूमि पर रिजॉर्ट बनवाना चाहते थे, लेकिन एक साल से तहसील के चक्कर काटने के बाद भी भू-परिवर्तन नहीं हुआ। प्रदेश सरकार को शीघ्र ही हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर भू-कानून लागू करना चाहिए, ताकि पहाड़ को भूमाफिया से बचाया जा सके।