उत्तराखंड: ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर भारी भूस्खलन से यातायात ठप..देखिए वीडियो
भूस्खलन के बाद वहां वाहनों की आवाजाही रोक दी गई थी. तमाम लोग सड़क पर ही खड़े होकर पत्थरों के नीचे गिरने की घटना को मोबाइल पर कैद करने में जुटे थे. देखिए वीडियो
Aug 10 2021 6:59PM, Writer:साक्षी बड़थ्वाल
मानसूनी बारिश पहाड़ी जिलों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। जगह-जगह भूस्खलन की वजह से सड़कें ब्लॉक हैं, नदियां उफान पर हैं। जिस वजह से नदी किनारे रहने वाले लोग भी डरे हुए हैं। भूस्खलन की ऐसी ही खौफनाक तस्वीरें ऋषिकेश से श्रीनगर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-58 से आई हैं, जहाँ हाईवे पर पहाड़ ढहने से बड़ी बड़ी चट्टानें नीचे आ गिरीं हालांकि इस दौरान किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. शुरुआती भूस्खलन के बाद वहां वाहनों की आवाजाही रोक दी गई थी. तमाम लोग सड़क पर ही खड़े होकर पत्थरों के नीचे गिरने की घटना को मोबाइल पर कैद करने में जुटे थे. लोग रास्ता खुलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन राहत अब तक नहीं मिली वहीँ अब मार्ग बंद होने की स्थिति में वाहनों को मलेथा, टिहरी ,नरेंद्र नगर, ऋषिकेश के लिए डायवर्ट किया गया है लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता बीएल द्विवेदी में बताया कि पहाड़ी से मलबा गिरने से मार्ग बंद हुआ. जिसको खोलने के लिए मशीनें लगाई गई हैं और जल्द मार्ग को खोल दिया जाएगा.
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गौर हो कि इन दिनों पहाड़ों पर सफर करना खतरनाक बना हुआ है. ऋषिकेश से श्रीनगर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-58 प्रदेश के व्यस्ततम राजमार्गों में से एक है। इसके बंद होने के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, पहाड़ी से लगातार भूस्खलन होने से मलबा आ रहा है, जिससे मार्ग बार-बार बंद हो रहा है। प्रशासन की तरफ से भूस्खलन क्षेत्र के आसपास जेसीबी मशीनों को तैनात किया गया है, ताकि मलबे को तुरंत साफ कर यातायात सुचारू किया जा सके। आपको बताते चलें की उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून की बारिश के चलते जगह-जगह हो रहे भूस्खलन के कारण दुश्वारियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों को तो यातायात के लिए प्राथमिकता के आधार पर खोल दिया जा रहा है, लेकिन सबसे अधिक मुश्किलें ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हो रही है। प्रदेश में सोमवार शाम पांच बजे तक कुल 134 सड़कें बंद थीं, इनमें 129 ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। फिलहाल बारिश के साथ आई समस्याओं से निजात नहीं मिलेगी, इसलिए जितना संभव हो पहाड़ी रास्तों पर निकलने से बचें