गढ़वाल: सरतमा दादी को सलाम..पुराने तरीकों से बचाया पानी, मिला महिला जल चैंपियन खिताब
हिम पटारा ग्राम संगठन की अध्यक्ष सरतमा देवी ने पारंपरिक चाल-खाल की मुहिम को आगे बढ़ाया। जिससे पारंपरिक जल स्त्रोत रिचार्ज हुए। उन्हें महिला जल चैंपियन का खिताब मिला है।
Aug 24 2021 7:48PM, Writer:कोमल नेगी
भीषण गर्मी के दौरान पानी की कमी से जूझने वाले उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए अनूठे प्रयोग किए जा रहे हैं। पहाड़ की महिलाएं जल स्रोतों को बचाने और उनके संरक्षण में अहम योगदान दे रही हैं। उत्तरकाशी की रहने वाली सरतमा देवी इनमें से एक हैं।
परंपरागत ज्ञान से पेयजल स्रोत किये पुनर्जीवित
सरतमा देवी ने अपने परंपरागत ज्ञान का इस्तेमाल कर सूख रहे पेयजल स्रोत को पुनर्जीवित करने में योगदान दिया। जल संरक्षण के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के तहत सरतमा देवी को महिला जल चैंपियन के पुरस्कार से नवाजा गया। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कलेक्ट्रेट स्थित कार्यालय में सरतमा देवी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर सरतमा देवी ने कहा कि उनके प्रयासों को इतने बड़े स्तर पर सराहा गया, ये उनके लिए बहुत बड़ी बात है। यह सम्मान पूरे हिम पटारा ग्राम संगठन की महिलाओं का है।
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आपको बता दें कि यूएनडीपी के तहत बीते जून माह में 41 महिलाओं को महिला जल चैंपियन चुना गया। इनमें उत्तराखंड राज्य से केवल पटारा गांव की सरतमा देवी का चयन हुआ। हिम पटारा ग्राम संगठन की अध्यक्ष सरतमा देवी ने पारंपरिक चाल-खाल की मुहिम को आगे बढ़ाया। जिससे पारंपरिक जल स्त्रोत रिचार्ज हुए। जंगली जानवरों और पालतू मवेशियों को पानी मिला। हिम पटारा ग्राम संगठन पिछले तीन साल से जल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहा है। संगठन की अध्यक्ष सरतमा देवी के नेतृत्व में पुराने चाल-खालों की सफाई और नए चालों का निर्माण किया जा रहा है। देशभर में हिम पटारा ग्राम संगठन के काम की तारीफ हो रही है। बीते जून में स्टाक होम अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान, जल संसाधन मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें उत्तराखंड की सरतमा देवी समेत देशभर की 41 महिलाओं को महिला जल चैंपियन के खिताब से नवाजा गया।