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‘स्कूली दिनों का चुटकुला याद आ गया’, कैबिनेट मंत्री के बयान पर इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग पढ़िए

अंग्रेजी में कहावत है : Old habits die hard यानि पुरानी आदतें आसानी से जाती नहीं हैं। पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार एवं एक्टिविस्ट इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग
Aug 31 2021 5:37PM, Writer:इन्द्रेश मैखुरी, वरिष्ठ पत्रकार

स्कूली दिनों में एक चुटकुला सुना था, जो बड़ा मजेदार था...चुटकुला कुछ यूं था : दो गप्पी लड़के आपस में डींगें हांक रहे थे… पहला : मेरे दादा जी की इतनी बड़ी गौशाला है, इतनी बड़ी गौशाला है, इतनी बड़ी गौशाला है ........दूसरा : अबे कितनी बड़ी ? पहला : इतनी बड़ी कि पूरी दुनिया की गायें उसमें आ जाती हैं ! अब दूसरे की बारी थी... दूसरा : मेरे दादा जी के पास इतना लंबा बांस का डंडा है, इतना लंबा बांस का डंडा है कि वो उससे आसमान में बादलों को इधर-उधर कर देते हैं ! पहले से यह बर्दाश्त ना हुआ, उसे तैश आ गया. उत्तेजित हो कर बोला-क्या गप मारता है, तेरे दादा जी चौबीसों घंटे तो बादल नहीं खिसकाते होंगे ना ! तो जब वो बादल नहीं खिसकाते तब इतने लंबे बांस के डंडे को रखते कहां हैं ?
यह मालूम न था कि स्कूली जमाने के गप्पी सिर्फ चुटकुले में नहीं थे, बल्कि हकीकत की दुनिया में भी विचरते हैं ! और अब वे इतने बड़े हो गए हैं कि मंत्री पद पर विराजते हैं. बचपन की आदत उनकी छूटी नहीं है. अंग्रेजी में कहावत है : Old habits die hard यानि पुरानी आदतें आसानी से जाती नहीं हैं. आगे पढ़िए

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चूंकि समय आगे बढ़ गया है, तकनीकी तरक्की काफी हो चुकी है, तो दादा जी के बांस के डंडे की जगह, ऐप आ गया है और ऐप को रखने के लिए तो दुनिया की सबसी बड़ी गौशाला वाला, दूसरा गप्पी ढूँढने की जरूरत भी नहीं है. उस दूसरे गप्पी के दादा की गौशाला जाने कहां है, पर गोबर तो यहां चारों ओर पसरा हुआ है.


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