गढ़वाल के पलाम गांव का बेटा मुक्केबाजी में बना एशिया चैंपियन, गोल्ड मेडल जीतकर गांव लौटा
रोहित के लिए एक और अच्छी खबर है। उन्हें पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट ने संस्थान में दाखिले के लिए न्योता दिया है, जहां वो अपने खेल को और निखार सकते हैं।
Sep 3 2021 6:24PM, Writer:Komal Negi
एशियाई मुक्केबाजी में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले रोहित चमोली पर पूरा देश प्यार लुटा रहा है। 16 साल के रोहित टिहरी गढ़वाल के पलाम गांव के रहने वाले हैं, उनकी शानदार उपलब्धि पर पूरे जिले में जश्न का माहौल है। रोहित चमोली ने जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप के 48 किलोग्राम भार के फाइनल मुकाबले में मंगोलिया के ओटगोनबयार तुवशिंजया को 3-2 से हरा कर गोल्ड मेडल जीता। आज हम रोहित की सफलता देख रहे हैं, लेकिन उनके लिए इस सफलता तक पहुंचना आसान नहीं था। रोहित के पिता जयप्रकाश चंडीगढ़ के होटल में कुक हैं। वो सालों पहले ही रोजीरोटी की तलाश में अपना गांव छोड़कर चंडीगढ़ चले गए थे। परिवार में हमेशा आर्थिक तंगी रही, लेकिन उन्होंने पैसों की कमी को बेटे की राह का रोड़ा नहीं बनने दिया। रोहित ने अपनी स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ के सेक्टर-16 के सरकारी स्कूल से हासिल की। धीरे-धीरे उनका रुझान मुक्केबाजी की ओर होने लगा।
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रोहित की चचेरी बहन मीनाक्षी भी एक बॉक्सर है। बहन को बॉक्सिंग करते देख रोहित ने भी रिंग में उतरने का फैसला किया। उन्होंने शुरुआती ट्रेनिंग अपनी बहन से ली। बाद में वो चंडीगढ़ में बॉक्सिंग कोच जोगिंदर कुमार से ट्रेनिंग लेने लगे। कोच जोगिंदर कुमार आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क कोचिंग देते हैं। उनके निर्देशन में रोहित चमोली ने अपने खेल को निखारा और दुबई में हुई जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहे। देश के लिए गोल्ड जीतने वाले रोहित गुरुवार को दुबई से वापस लौट आए हैं। चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर रोहित का शानदार स्वागत किया गया, उन्हें बधाईयां दी गईं। रोहित के लिए एक और अच्छी खबर आई है। उन्हें पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट ने संस्थान में दाखिले के लिए न्योता दिया है, ताकि वो बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेकर इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकें।