उत्तराखंड में नजर आई वो दुर्लभ तितलियां, जो दुनिया में लगभग खत्म हो चुकी हैं
पंगोट में हुए बटरफ्लाई वॉक के दौरान क्षेत्र में पहली बार स्ट्रीएटेट स्टायर और टाइगर ब्राउन नाम की तितलियां देखी गईं। ये दोनों प्रजातियां उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती हैं।
Sep 21 2021 6:45PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड में दुर्लभ जीवों का अद्भुत संसार बसता है। जैव विविधता के लिए मशहूर इस क्षेत्र से लगातार अच्छी खबरें मिल रही हैं। इसी कड़ी में एक बड़ी खबर नैनीताल जिले से आई है। यहां पहली बार कुछ ऐसा हुआ, जिसने जीव विज्ञानियों को उत्साह से भर दिया है। रामनगर के पंगोट में पहली बार दुर्लभ प्रजाति की दो तितलियां रिकॉर्ड की गईं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के रोहन बहल ने स्ट्रीएटेट सटार और सोहेल मदान ने टाइगर ब्राउन को कैमरे में कैद किया। ये दोनों तितलियां बेहद दुर्लभ हैं। रामनगर में आयोजित तितली महोत्सव के चौथे दिन पंगोट में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी दौरान यहां दो दुर्लभ तितलियां भी कैमरे में कैद हुईं। बीएनएचएस के तितली विशेषज्ञ सोहेल मदान के मुताबिक ये दोनों प्रजातियां उच्च हिमालयी क्षेत्र में ही पाई जाती हैं। उत्तराखंड के अलावा, हिमाचल, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भी इन तितिलयों को देखा गया है। दोनों प्रजातियां अगस्त से सितंबर तक ही दिखाई देती हैं।
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सोमवार को पंगोट में हुए बटरफ्लाई वॉक में विशेषज्ञों ने दो दर्जन से अधिक प्रजातियों की तितलियों की तस्वीरें लीं। इस दौरान क्षेत्र में पहली बार स्ट्रीएटेट स्टायर और टाइगर ब्राउन नाम की तितलियां भी देखी गईं। बटरफ्लाई वॉक के दौरान विशेषज्ञों ने तितलियों के संसार पर जानकारी साझा की। पद्मश्री अनूप साह ने बताया कि रसायनों के छिड़काव से तितलियों की संख्या कम होती जा रही है, जिसका सीधा असर खाद्य श्रृंखला पर भी देखने को मिल रहा है। तितलियों की संख्या घटने से पक्षी भी दूसरी जगहों की ओर पलायन करने लगे हैं। सौरभ भट्टाचार्य ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वनाग्नि से तितलियों की पारिस्थितिकी प्रभावित हो रही है। तितलियां जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा चेतावनी सूचक हैं। इस मौके पर सीड बॉबिंग के साथ ही तितलियों के नेक्टर और होस्ट प्लांट का रोपण भी किया गया।