उत्तराखंड: दो दोस्तों ने नौकरी छोड़कर शुरू किया कैफे, आज एक दिन की कमाई नौकरी से ज्यादा
रामनगर के दो दोस्तों ने मिलकर शुरू किया खुद का कैफे, आज एक दिन की कमाई नौकरी से ज्यादा, जानिए दीपक और हिमांशु की सक्सेस स्टोरी-
Sep 25 2021 4:10PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
स्वरोजगार इस समय की सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है। अपने खुद का रोजगार शुरू करने की ओर पहाड़ के कई युवा अग्रसर हो रहे हैं। बहुत से लोग अपना स्टार्टअप शुरू कर कर हैं और अपने छोटे से व्यवसाय को शुरू करके स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं। स्वरोजगार शुरू करके वे किसी भी नौकरी से कई गुना अधिक कमा रहे हैं। आज हम आपको उत्तराखंड के दो दोस्तों के स्टार्टअप के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर खुद का कैफे शुरू किया है और आज 1 दिन में उनकी कमाई नौकरी से ज्यादा है। हम बात कर रहे हैं नैनीताल के रामनगर के दो दोस्तों की जिन्होंने नौकरी छोड़ कर अपना खुद का कैफे शुरू किया है। यह खबर है रामनगर के निवासी दीपक जीना और हिमांशु बिष्ट की। दोनों दोस्तों ने रामनगर से तीन किलोमीटर दूर किसान और पुत्रों नामक एक खूबसूरत सा कैफे बनाया है। नाम से ही नहीं बल्कि यह कैफे अंदर से भी उतना ही आकर्षक और अनोखा है। इस कैफे में इंटीरियर के ऊपर खासा ध्यान दिया गया है। अंदर डिजाइन की गई इस जगह में लोगों के बैठने की जगह के चारों ओर छोटे-छोटे गमले टांग दिए गए हैं और उन पर खूबसूरत पौधे लगाए गए हैं। फर्श पर छोटे कंकड़ और पत्थरों से डिजाइन किया गया है।
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सामने ही प्रसिद्ध गिरिजा मंदिर है जिस वजह से यहां हर समय पर्यटकों एवं भक्तों की भीड़ लगी रहती है। कैफे में तीनों समय खाने की उत्तम व्यवस्था है। ब्रेकफास्ट के साथ लंच और डिनर का भी पूरा इंतजाम है। अब आपको बताते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई।कैफे ऑनर दीपक जीना और हिमांशु बिष्ट करीबी दोस्त हैं। वे दोनों पूर्व में ढिकुली स्थित ताज रिजॉर्ट में काम किया करते थे। दोनों अपना कुछ अलग स्टार्टअप शुरू करना चाहते थे। ताज रिजॉर्ट में काम करने का एक्सपीरियंस उनको बहुत काम आया और दोनों दोस्तों ने फूड स्टार्ट अप खोलने की ठानी। धीरे-धीरे इस सपने को पूरा करने के लिए दोनों दोस्तों ने रिगोरा में एक किराए की जगह ली और अपना खुद का कैफे स्थापित किया। दीपक बताते हैं कि उन्होंने ताज रिजॉर्ट में ट्रेनिंग से लेकर साढ़े चार साल तक और हिमांशु ने दो साल काम किया। इससे उन्हें अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में बहुत मदद मिली । दीपक और हिमांशु का कहना है कि नौकरी में उनको महीने का 8 से 10 हजार रुपए मिल रहा था। आज वे यहां रोजाना इतना कमा रहे हैं। खुद का रोजगार शुरू करने वाले यह दोनों दोस्त बेरोजगारी के इस दौर में उम्मीद बनकर लोगों के सामने आए हैं। राज्य समीक्षा की पूरी टीम ऐसे अनोखे प्रयासों को हमेशा प्रमुखता से पाठकों तक पहुंचाती है। हमारी यही कामना है कि हिमांशु और दीपक का यह व्यसाय दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करे और वे अन्य बेरोजगार युवाओं को खुद का स्वरोजगार शुरू करने के लिए प्रेरित करें।