उत्तराखंड: शहर के बाद पहाड़ में घुसे रोहिंग्या मुस्लिम? 4 जिलों पर खुफिया विभाग की नजर
पर्वतीय क्षेत्रों में समुदाय विशेष की बढ़ती आबादी के चलते कई जगह हालात बिगड़ रहे हैं। रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ के चलते इन इलाकों से पलायन हो रहा है।
Sep 27 2021 4:09PM, Writer:Komal Negi
पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर हुए बड़े खुलासे के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। अब क्षेत्र विशेष में जमीन की खरीद-फरोख्त पर नजर रखी जाएगी। जिलों में बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन को लेकर अभियान चलेगा। यही नहीं पर्वतीय क्षेत्रों में दिख रहे जनसांख्यिकी बदलाव और समुदाय विशेष की बढ़ती आबादी के चलते कई जगह हालात बिगड़ रहे हैं। रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ के चलते कई इलाकों से पलायन हो रहा है। खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट और अन्य माध्यमों से सरकार तक पहुंची शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने कुछ कड़े कदम उठाए हैं। दरअसल राज्य बनने के बाद हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल, ऊधमसिंहनगर और पौड़ी में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। समुदाय विशेष के लोगों के यहां बसने और जमीन खरीदने के मामले तेजी से बढ़े हैं। जिसके चलते यहां डेमोग्राफिक चेंज नजर आ रहे हैं। कई जगह तो मूल निवासियों को अपने घर-गांव छोड़ने पड़े हैं।
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इंटेलीजेंस से मिले इनपुट में बताया गया है कि अब मैदानी ही नहीं पहाड़ी जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और अल्मोड़ा में भी समुदाय विशेष की बसावट तेजी से हो रही है। इनमें रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के भी शामिल होने की आशंका है। यही नहीं प्रदेश में बड़ी संख्या में नेपाली मूल के नागरिक भी अवैध रूप से रह रहे हैं। इन्होंने वोटर कार्ड और पहचान पत्र भी बनवाए हुए हैं। पहाड़ी इलाकों में जनसंख्या पहले ही कम है, उस पर समुदाय विशेष की संख्या बढ़ने से लोग अपने घर छोड़ने लगे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने अब सभी जिलों में शांति समितियों के गठन का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बहुत समय से इस तरह की चर्चा चल रही है कि तमाम तरह के लोग उत्तराखंड में बस गए हैं। यह जांच किसी को लक्ष्य बनाकर नहीं की जा रही है। इसमें सभी पहलुओं को शामिल किया जा रहा है। देवभूमि में सांप्रदायिक सौहार्द बरकरार रखने के लिए सभी जिलों में शांति समिति गठित की जाएगी।