उत्तराखंड: ग्राम प्रधान ने ईमानदारी से किया काम, अब मॉडर्न स्कूलों को मात दे रहा है GIC क्वीतड़
आज हम आपको पहाड़ के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताना चाहते हैं, जिसे ग्राम प्रधान की कोशिशों से नया रंग रूप दिया गया है।
Sep 28 2021 2:52PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
पहाड़ में सरकारी स्कूलों के क्या हाल हैं यह बात तो आप अच्छी तरह जानते होंगे। आज उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में कुछ स्कूल इतनी जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं कि बच्चे वहां जाने से डरते हैं। ऐसे में इन स्कूलों में शिक्षा का क्या हाल होगा? यह बात हर कोई जानता है। तो आखिर इसका हल क्या है? आज हम आपको पहाड़ के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताना चाहते हैं, जिसे ग्राम प्रधान की कोशिशों से नया रंग रूप दिया गया है। यकीन मानिए पहाड़ का यह स्कूल शहर के अच्छे खासे स्कूलों को मात दे रहा है। हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ की। यहां क्वीतड़ गांव के प्रधान ने स्कूल को ऐसा लुक दिया की हर कोई वाहवाही कर रहा है। जी हां इस गांव के प्रधान हैं श्याम सुंदर। श्यामसुंदर कहते हैं जब वह छोटे थे तो 10:00 12 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाया करते थे। उस वक्त स्कूल की हालत बदहाल थी। उस वक्त से ही उनके मन में एक हाईटेक स्कूल बनाने का विचार आया था। यह सपना अब पूरा हो गया है।
यह भी पढ़ें - केदारनाथ में हेलीकॉप्टर के लिए ऑनलाइन बुकिंग शुरू, जानिए पूरा प्रोसीजर
शानदार पेंटिंग खूबसूरत टाइल्स और खून पसीने की मेहनत से एक बेहतरीन स्कूल तैयार किया गया है। पूरे स्कूल भवन में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं। बच्चों को स्कूल में स्वच्छ पेयजल के लिए फिल्टर लगाए जा रहे हैं। छात्र-छात्राओं समेत स्कूल स्टाफ के लिए भी तीन शौचालय बनाए गए हैं। विद्यालय भवन के फर्श में टाइल्स लगाए गए हैं। कुमाऊंनी भाषा की पहली महिला लोकगायिका कबूतरी देवी की स्मृति में अब इस विद्यालय परिसर में उद्यान बनाया जाएगा। प्रोजेक्टर भी लगाए जाएंगे। 2016 में तत्कालीन विधायक मयूख महर के प्रयासों से विद्यालय का उच्चीकरण हुआ, तब स्कूल का भवन बदहाल था। इसके बाद लोगों की मांग पर विद्यालय भवन बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया। सरकार ने करीब 50 लाख रुपये की स्वीकृति दी। ग्रामीणों ने बताया कि प्रयास ईमानदार हों तो धरातल पर काम नजर आता है और आज जीआईसी क्वीतड़ के भवन को देखकर काफी अच्छा लगता है। इसके लिए ग्राम प्रधान के प्रयास सराहनीय हैं। जीआईसी क्वीतड़ जिले का पहला हाईटेक विद्यालय माना जा रहा है। सीईओ अशोक कुमार जुकरिया का कहना है कि ग्राम प्रधान ने स्कूल निर्माण के लिए मिले बजट का सदुपयोग किया है। प्रधान सौन का कहना है कि विद्यालय भवन के निर्माण में ग्राम पंचायत के बजट का भी इस्तेमाल किया गया है।