पहाड़ के बड़ालू गांव की निकिता..पिता किसान हैं, बेटी ने एशियन चैंपियनशिप में जीता गोल्ड
बकरी पालक पिता की होनहार बेटी निकिता ने महज 8 साल की उम्र में ही मुक्केबाजी को अपना लक्ष्य बना लिया था। उन्होंने गांव से निकलकर एशियन चैंपियनशिप तक का सफर तय किया।
Oct 12 2021 7:11PM, Writer:कोमल नेगी
संसाधनों की कमी के बावजूद उत्तराखंड की होनहार बेटियां खेलों की दुनिया में खूब नाम कमा रही हैं। पिथौरागढ़ के बड़ालू गांव की रहने वाली निकिता चंद ऐसी ही होनहार बेटियों में से एक हैं। बकरी पालक पिता की इस होनहार बिटिया ने महज 8 साल की उम्र में ही मुक्केबाजी को अपना लक्ष्य बना लिया था, और गांव से निकलकर एशियन चैंपियनशिप तक का सफर तय किया। मूनाकोट के बड़ालू गांव में किसान परिवार में जन्मी निकिता चंद का परिवार आज भी गरीबी में जीवन जीता है। पिता सुरेश चंद खेती-बाड़ी और बकरी पालन कर परिवार का पेट भर रहे हैं। इसी परिवार की बेटी निकिता चंद बीते दिनों एशियन बॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल करने में कामयाब रही। जिस वक्त निकिता ने दुबई में गोल्ड मेडल जीता, उस वक्त उनके पिता जंगल में बकरियां चरा रहे थे। पिता के जंगल से लौटने के बाद ग्राम प्रधान ने उन्हें बेटी की सफलता के बारे में बताया तो वो भावुक हो गए। आगे पढ़िए
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आज हम निकिता की सफलता देख रहे हैं, लेकिन इस सफलता को पाने के लिए उन्हें बड़ा त्याग करना पड़ा। महज 8 साल की उम्र में वह कुछ बनने की खातिर अपने फूफा अजय मल्ल और बुआ मीना मल्ल के साथ चली गईं थी। 20 दिसंबर 2006 को पिथौरागढ़ में जन्मी निकिता ने महज 10 साल की उम्र में बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। साल 2018 में उन्होंने मिनी सब जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। साल 2019 में वो सब जूनियर स्टेट चैंपियनशिप जीतने में कामयाब रहीं। जुलाई 2021 में उन्होंने सोनीपत में हुई नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। राष्ट्रीय टीम में चयन होने के बाद निकिता दुबई गईं और एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में देश के लिए गोल्ड जीतने में कामयाब रहीं। निकिता की सफलता पर बड़ालू गांव के लोगों ने अपने घरों पर बेटी के नाम की नेमप्लेट लगाने का निर्णय लिया है। निकिता की सफलता गांव की दूसरी बेटियों को भी आगे बढ़ने का हौसला दे रही है, उन्हें सपने देखने और उन्हें सच करने के लिए प्रेरित कर रही है।