image: Sarso Oil sample fail in uttarakhand 20 places

उत्तराखंड की 20 जगहों में बिक रहा तेल के नाम पर जहर, जानिए इससे होने वाले नुकसान

कुल मिलाकर 20 जगहें ऐसी हैं जहां सरसों के तेल में मिलावट पाई गई है। जानिए यह स्वास्थ्य के लिए कितना घातक हो सकता है।
Oct 28 2021 6:25PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

त्योहारों का सीजन है और मिलावटखोरों की चांदी हो रही है। दूध में मिलावट, पनीर में मिलावट, खाद्य पदार्थ में मिलावट, मावा में मिलावट, तेल में मिलावट यानी आपके किचन में खाद्य पदार्थों के नाम पर सिर्फ और सिर्फ जहर की सप्लाई हो रही है। अब आपके लिए एक जरूरी खबर है। अगर आप उत्तराखंड की इन 20 जगहों में रहते हैं तो सावधान हो जाइए। दरअसल इन 20 जगहों में तेल में मिलावट पाई गई है। स्पेक्स देहरादून ने जून से सितंबर तक सरसों के तेल में मिलावट के परीक्षण के लिए अभियान शुरू किया, जिसमें उत्तराखंड के 20 स्थानों जैसे देहरादून, विकास नगर, डोईवाला, मसूरी, टिहरी, उत्तरकाशी, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर, हरिद्वार, जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, रामनगर, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से 469 नमूने एकत्र किए। आपको जानकर हैरानी होगी इनमें से 415 नमूने मिलावटी पाए गए। मसूरी, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर और अल्मोड़ा में सरसों के तेल के नमूनों में शत-प्रतिशत मिलावट पाई गई। जसपुर में न्यूनतम मिलावट 40 प्रतिशत, काशीपुर में 50 प्रतिशत पाई गई। उत्तरकाशी में 95 प्रतिशत, देहरादून 94 प्रतिशत, पिथौरागढ़ 91 प्रतिशत, टिहरी 90 प्रतिशत, हल्द्वानी 90 प्रतिशत, विकासनगर 80 प्रतिशत, डोईवाला 80 प्रतिशत, नैनीताल 71 प्रतिशत, श्रीनगर 80 प्रतिशत, ऋषिकेश 75 प्रतिशत, रामनगर 67 प्रतिशत, हरिद्वार 65 प्रतिशत, रुद्रपुर में 60 प्रतिशत मिलावट पाई गई। बड़ी संख्या में स्वास्थ्य समस्याओं का कारण हमारे द्वारा खाया जाने वाला भोजन  ही है, और यह हमेशा मांस या सब्जियों की गुणवत्ता के बारे में नहीं होता है बल्कि भोजन के तेल की गुणवत्ता के बारे में भी होता है। सरसों के तेल में सस्ते आर्जीमोन तेल की मिलावट पाई जाती है जिससे जल शोथ रोग होते हैं। इसके लक्षणों में पूरे शरीर में सूजन, विशेष रूप से पैरों में और पाचनतंत्र संबंधी समस्याएं जैसे उल्टी, दस्त और भूख न लगना शामिल हैं, ऐसे में थोड़ी सी भी मिलावट जलन पैदा कर सकती है, जो कि उस समय तो कोई बड़ी बात नहीं लगती, परन्तु  लंबे समय में इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं.
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