image: Shivangi rana of chamoli crossed niti mana by cycle

गढ़वाल: मलारी गांव की शिवांगी के नाम अनोखा रिकॉर्ड, साइकिल से नापी नीति-माणा की दूरी

उत्तराखंड की शिवांगी राणा ने साइकिल से नापी 561 किलोमीटर की दूरी, दून से नीती-माणा घाटी का सफर किया तय
Oct 29 2021 9:35AM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

कौन कहता है कि लड़कियां कमजोर होती हैं। यह खबर समाज में पल रही इस निर्रथक धारणा को चकनाचूर करती है। बेटियों को कमजोर समझने वाले लोगों को आइना दिखाते हूए देहरादून की निडर और जाबांज शिवांगी ने अकेले ही देहरादून से माणा और नीती घाटी की 561 किलोमीटर साहसिक साइकिल यात्रा पूरी कर ली है। उन्होंने इस दौरान भारी बारिश, भूस्खलन का सामना किया, मगर वे डरी नहीं और उन्होंने डट कर परिस्थितियों का सामना किया। शिवांगी मूल रूप से चमोली जिले के मलारी की रहने वाली हैं मगर वर्तमान में वे अपने परिवार के साथ देहरादून में रहती हैं। Shivangi rana ने श्रीनगर से बीटेक की पढ़ाई की है। उनके पिता कल्याण सिंह राणा बैंक से रिटायर हैं। भाई नवीन सिंह राणा और शिवांगी दोनो ही सरकारी नौकरी के लिए कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं। शिवांगी ने अकेले ही दून से चमोली के नीति घाटी और माणा तक साइकिल यात्रा करने की ठानी। 5 अक्तूबर को देहरादून के जोगीवाला निवासी शिवांगी अकेले ही साइकिल से माणा के लिए निकल पड़ीं। वे श्रीनगर, चमोली और फिर जोशीमठ में रुकते हुए माणा (बदरीनाथ) पहुंचीं।उन्होंने 4200 फीट की ऊंचाई पर अकेले साइकिल से जाकर उन्होंने रिकॉर्ड बनाया है। शिवांगी ने यह दावा किया है कि अभी तक किसी भी लड़की ने दोनो घाटियां साइकिल से नहीं किया है। उन्होंने अकेले ही 561 किलोमीटर तक साइकिल से सफर तय किया।आगे पढ़िए

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शिवांगी के लिए यह यात्रा आसान नहीं थी। उनकी यात्रा 17 अक्तूबर को ही समाप्त हो जानी थी लेकिन बारिश और पहाड़ों में हुई बर्फबारी के कारण वे फंस गईं। 17 अक्तूबर को नीती घाटी में पहुंचकर उनकी यात्रा समाप्त हुई। शिवांगी राणा इससे पहले भी देहरादून से नैनीताल और लैंसडौन साइकिल से जा चुकी हैं। टिहरी में हुई 80 किलोमीटर की साइकिल प्रतियोगिता में उन्होंने द्वितीय स्थान अर्जित किया था। दून से माणा (बदरीनाथ) और फिर नीती घाटी की साइकिल यात्रा पूरी करने वाली शिवांगी बीते सोमवार रात देहरादून लौटीं जहां उनके परिजनों ने उनका भव्य स्वागत किया। इस यात्रा के पीछे शिवांगी का लक्ष्य था लोगो में महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता। उनका मानना है कि लड़कियां किसी भी मामले में कमतर नहीं है। शिवांगी ने कहा कि वह यह दिखाना चाहती थीं कि अकेली लड़की कुछ भी कर सकती है। जरूरत है तो केवल हिम्मत और विश्वास की।


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