गढ़वाल की पराक्रमी रानी, जिसने 1000 मुगलों की नाक काटी..शर्मसार हुआ था शाहजहां
गढ़वाल की रानी कर्णावती भारत की दस सबसे पराक्रमी रानियों में से एक हैं। उन्हें नाक काटी रानी के नाम से भी जाना जाता है।
Nov 4 2021 5:34PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड को देवभूमि के साथ वीर भड़ों की धरती के रूप में जाना जाता है। यहां के निर्भीक और बहादुर राजाओं की कहानियां पूरी दुनिया में मशहूर हैं, लेकिन आज हम आपको गढ़वाल के किसी राजा के बारे में नहीं बल्कि उस वीरांगना रानी कर्णावती के बारे में बताएंगे, जिन्हें भारत की दस सबसे पराक्रमी रानियों में से एक माना जाता है। रानी कर्णावती पंवार वंश के राजा महिपतशाह की पत्नी थीं। जब महिपतशाह गढ़वाल के राजा थे, तब 14 फरवरी 1628 को मुगल बादशाह शाहजहां का राज्याभिषेक हुआ। उस समय भारत के बड़े-बड़े राजा उसके दरबार में नतमस्तक होने गए थे, लेकिन स्वभिमानी महिपतशाह नहीं गए। शाहजहां इससे चिढ़ गया। थोड़े समय बाद महिपतशाह और उनके वीर सेनापति की मौत हो गई। तब महिपतशाह के बेटे पृथ्वीपतिशाह को राजगद्दी सौंपी गई। उस वक्त पृथ्वीपति की उम्र 7 साल थी। ऐसे में राजकाज मां कर्णावती ने संभाला।
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इस बीच शाहजहां ने गढ़वाल पर आक्रमण की तैयारी शुरू कर दी। उसने अपने सेनापति नजाबत खान को गढ़वाल पर आक्रमण के लिए भेजा। मुगल जनरल 30 हजार घुड़सवार और पैदल सेना लेकर गढ़वाल में दाखिल हो गया। रानी कर्णावती ने उसे सीमा में दाखिल होने दिया, लेकिन जैसे ही मुगल सेना लक्ष्मणझूला के पास पहुंची। गढ़वाल की रानी और यहां के सैनिकों ने दोनों तरफ से रास्ता बंद कर दिया। खाने-पीने की किल्लत होने लगी। मुगल सेना बुरी तरह से पस्त हो गई। मुगल सैनिकों ने जीवनदान मांगा तो रानी कर्णावती ने कहा कि वो सबकी जान बख्श देंगी, लेकिन मुगल सैनिकों को अपनी नाक कटानी पड़ेगी। जान बचाने के लिए मुगल सैनिक ऐसा करने को तैयार हो गए। इनमें सेनापति नजाबत खान भी शामिल था। इस घटना से मुगल सैनिक और बादशाह शाहजहां शर्मसार हुआ। बाद में उसने अरीज खान और फिर बादशाह औरंगजेब को गढ़वाल पर हमले के लिए भेजा, लेकिन दोनों ही असफल रहे। रानी कर्णावती नाक काटी रानी या नक्कटी रानी के रूप में मशहूर हैं। उनका जिक्र मुगल इंडिया में भी मिलता है।