उत्तराखंड विधानसभा चुनाव: PM मोदी का बड़ा ऐलान, अब 19 सीटों पर बदलेंगे समीकरण?
राज्य के तीन मैदानी जिलों की 19 विधानसभा सीट (uttarakhand assembly election) ऐसी हैं, जिनकी राजनीति काफी हद तक किसानों के मूड पर निर्भर करती है।
Nov 20 2021 9:26PM, Writer:कोमल नेगी
केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है। सरकार के इस फैसले को जहां कुछ लोग किसान आंदोलन की जीत बता रहे हैं तो वहीं कुछ पीएम मोदी (uttarakhand assembly election) का 'मास्टर स्ट्रोक'। पीएम के ऐलान को विशेषज्ञ कई सियासी संकेतों से जोड़ रहे हैं, जिसका असर उत्तराखंड की किसान राजनीति पर भी देखने को मिलेगा। राज्य के तीन मैदानी जिलों की 19 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जिनकी राजनीति काफी हद तक किसानों के मूड पर भी निर्भर करती है। कृषि सुधार बिल वापसी के बाद से बीजेपी, कांग्रेस और आप किसानों के नए रुख का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बात करें किसान आंदोलन की तो उत्तराखंड में इसका असर ज्यादातर मैदानी जिलों में ही दिखा। देहरादून की 10 विधानसभा सीटों में डोईवाला, सहसपुर और आंशिक विकासनगर किसान बहुल हैं। तो हरिद्वार की 11 सीटों में हरिद्वार शहर को छोड़कर बाकी 10 ज्वालापुर, भगवानपुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, रुड़की, खानपुर, मंगलौर, लक्सर, हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में किसानों की भूमिका काफी अहम है। आगे पढ़िए
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ऊधमसिंहनगर की सभी नौ सीटों में रुद्रपुर को छोड़कर बाकी सभी जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता और खटीमा सीटों पर किसान वोटर की तादाद अच्छी खासी है। यहां ज्यादातर किसान सिख किसान हैं। प्रदेश में किसान आंदोलन से प्रभावित जिलों की संख्या भले ही कम है, लेकिन राजनीतिक रूप से वो काफी मजबूत हैं। साल 2017 के चुनाव में किसानों के समर्थन से बीजेपी 19 सीटों में से 15 में कमल खिलाने में कामयाब रही थी। कांग्रेस के खाते में सिर्फ 4 सीटें गईं। हालांकि किसान आंदोलन शुरू होने के बाद किसान और सिख वोटर बीजेपी के खिलाफ नजर आए। कांग्रेस और आप को भी अपने लिए संभावनाएं नजर आने लगी थीं। अब जबकि बीजेपी बैकफुट पर आ गई है तो माना जा रहा है कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस ऐलान से कई निशाने साधे हैं। अपने फैसले से बीजेपी ने किसानों में (uttarakhand assembly election) नाराजगी कम करने की कोशिश की है, जिसका फायदा उसे आने वाले चुनाव में मिलने की पूरी उम्मीद है।