Joshimath sinking: तबाही की वजह सामने आई, वैज्ञानिकों ने कहा-ये प्रकृति की गंभीर चेतावनी है
Joshimath sinking विशेषज्ञों ने जोशीमठ में मची तबाही की वजह रविवार को बताई। उन्होंने कहा कि शहर का ये हाल एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाढ़ जल विद्युत परियोजना की वजह से हो रहा है।
Jan 9 2023 7:30PM, Writer:कोमल नेगी
जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव ने विकराल रूप ले लिया है। अनप्लांड डेवलपमेंट के चलते लोगों की जान खतरे में पड़ गई है।
The Reason Behind Joshimath Sinking
विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ये एक चेतावनी है। अगर समय रहते इसे सुधारा नहीं गया, तो आने वाले समय में और भयावह स्थिति देखने को मिल सकती है। जोशीमठ को भूधंसाव और भूस्खलन क्षेत्र घोषित किया गया है। क्षतिग्रस्त घरों में रह रहे परिवारों को अस्थाई राहत केंद्रों में पहुंचाया जा रहा है। रविवार को विशेषज्ञों ने जोशीमठ में मची तबाही की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि शहर का ये हाल एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाढ़ जल विद्युत परियोजना की वजह से है। यह प्रकृति की गंभीर चेतावनी है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी समिति की नवीनतम रिपोर्ट के लेखकों में से एक अंजल प्रकाश कहते हैं कि जोशीमठ की स्थिति गंभीर चेतावनी है। जोशीमठ समस्या के दो पहलू हैं। पहला है बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास जो हिमालय जैसे बहुत ही नाजुक परिस्थितिकी तंत्र में हो रहा है, वह बिना किसी योजना और प्रक्रिया के हो रहा है। दूसरा पहलू जलवायु परिवर्तन के खतरे से जुड़ा है। आगे पढ़िए
Joshimath sinking latest update
उधर, जोशीमठ शहर से अभी तक 60 से ज्यादा परिवार निकाले गए हैं। 90 और परिवारों को जल्द से जल्द सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाएगा। जोशीमठ में कुल 4500 मकान हैं, जिनमें से 610 में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। मालूम हो कि साल 1970 के दशक में भी जोशीमठ में जमीन के धंसने की सूचना मिली थी। इसे लेकर साल 1978 में एक रिपोर्ट सब्मिट की गई थी, जिसमें कहा गया था कि शहर और नीति एवं माणा घाटियों में प्रमुख निर्माण कार्य नहीं किए जाने चाहिए। साल 2021 और 2022 उत्तराखंड के लिए आपदा के साल रहे हैं। ऐसे में ये समझना होगा कि ये क्षेत्र बेहद नाजुक है और यहां पारिस्थितिकी तंत्र में छोटे परिवर्तन से भी गंभीर आपदाएं आएंगी। एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी के भू विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वाईपी सुंद्रियाल ने कहा कि सरकार ने 2013 की केदारनाथ आपदा और 2021 में गंगा में आई बाढ़ से कुछ नहीं सीखा। हिमालय एक बहुत ही नाजुक परिस्थिति तंत्र है। हम विकास के खिलाफ नहीं हैं लेकिन आपदा की कीमत पर ऐसा करना ठीक नहीं है।