उत्तराखंड का रहस्यमयी झरना: इसका एक छींटा तन पर पड़ते ही मिट जाते हैं सारे पाप
Mythological Vasudhara Falls वसुधारा वो जगह है, जहां सहदेव ने अपने प्राण त्यागे थे। अर्जुन ने भी अपना गांडीव धनुष यहीं पर त्याग दिया था।
May 18 2023 3:02PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड में ऐसी कई जगहें हैं जो आज भी विज्ञान को चुनौती दे रही हैं। इनका रहस्य अब तक नहीं सुलझ पाया।
Mythological Vasudhara Falls of Uttarakhand
चमोली में माणा से 8 किलोमीटर दूरी पर एक ऐसा ही रहस्यमयी झरना है, जिसे हम वसुधारा के नाम से जानते हैं। वसुधारा को लेकर कई मान्यताएं हैं। बदरीनाथ आने वाले यात्री वसुधारा जरूर जाते हैं। इस झरने के बारे में कहा जाता है कि इसका एक छींटा भी अगर मनुष्य के तन पर पड़ जाए, तो उसके पाप मिट जाते हैं। यह झरना समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो 400 फीट की ऊंचाई से गिरता है। स्कंद पुराण में भी वसुधारा का जिक्र मिलता है। ऊंचाई पर हवा और पानी के मिलने से जो ध्वनि उठती है, वो हर किसी को रोमांचित कर देती है। हर प्राणी जीवन में एक बार यहां आने की चाह रखता है।
कहते हैं कि पांडव द्रोपदी के साथ इसी रास्ते से स्वर्ग गए थे। वसुधारा वो जगह है, जहां सहदेव ने अपने प्राण त्यागे थे। अर्जुन ने अपना गांडीव धनुष भी यहीं पर त्याग दिया था। झरने का नाम वसुधारा इसलिए पड़ा क्योंकि यहां अष्ट वसु (यानी अयज, ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्यूष व प्रभाष) ने कठोर तप किया था। अगर आप भी वसुधारा के दर्शन करना चाहते हैं तो तैयारी कर लें। बीते दिनों खराब मौसम के चलते यहां की यात्रा रोक दी गई थी, लेकिन अब क्योंकि मौसम साफ है, इसलिए माणा से वसुधारा की यात्रा शुरु कर दी गई है। बदरीनाथ से माणा गांव तक वाहन सुविधा उपलब्ध है। वसुधारा रूट पर माणा से आगे को दुकानें व होटल नहीं हैं। यात्रियों सुबह जाकर दोपहर तक वापस लौटना जरुरी है। यहां पहुंचने के लिए आप माणा गांव से घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी की सुविधा लाभ उठा सकते हैं।