image: Anil baluni great work for uttarakhand village

उत्तराखंड में सांसद हो तो ऐसा, अब देवभूमि का सबसे असंभव काम करेंगे अनिल बलूनी

काम करने का इरादा दिल में होना चाहिए, वरना राजनीति कोई बुरी जगह नहीं। उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने एक बार फिर से इस बात को सच साबित कर दिखाया है।
Sep 22 2018 7:55AM, Writer:कपिल

राजनीति सुधर सकती है, इरादे सुधर सकते हैं...अगर राजनेताओं के मकसद सही रास्ते पर जाएं। उत्तराखंड आजतक सुविधाओं का रोना रोता रहा। इसकी वजह वो नेता भी हैं, जिन्होंने पहाड़ को हाशिए पर रख दिया था। अपने मतलब साधने वाले राजनेता ये भी नहीं समझ पाए कि ये ही गलती उत्तराखंड के गांव के गांव खाली कर देगी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अच्छी बात ये है कि उत्तराखंड के ही कुछ नेता ऐसे हैं, जो वास्तव में काम करना चाहते हैं। ऐसे ही एक राज्यसभा सासंद हैं अनिल बलूनी। अनिल बलूनी जैसे भी हों लेकिन उन्हें देखकर इस बात की खुशी होती है कि कोई वास्तव में देवभूमि के लिए काम करना चाहता है। अनिल बलूनी अब एक असंभव लक्ष्य को पूरा करने जा रहे हैं। उत्तराखंड के घोस्ट विलेज कहे जाने बौर गांव को अनिल बलूनी ने गोद ले लिया है।

यह भी पढें - संसद में उठा उत्तराखंड आपदा का मुद्दा, अनिल बलूनी ने की विशेष राहत पैकेज की मांग
बौर गांव पौड़ी जिले के दुगड्डा ब्लाक में स्थित है। यहां अब एक भी आबादी नहीं है। अनिल बलूनी की हिम्मत की दाद देनी होगी, जो वो इस तरह से कड़े निश्चय वाला फैसला ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि गांव को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लिया गया है। पहले इस गांव को आबाद किया जाएगा। यहां बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और रोजगार के तहत काम किए जाएंगे। अगर यहां सब कुछ ठीक रहता है तो उत्तराखंड के बाकी गांवों में भी ऐसा ही काम किया जाएगा। गांव को हर हाल से आबाद करने की कोशिश की जा रही है। इस बारे में जल्द ही अनिल बलूनी इस गाव के प्रवासियों के साथ मुलाकात करेंगे। उत्तराखंड के वीरान पड़े गांवों को आबाद करने के लिए ये एक बेहतरीन कदम है। अनिल बलूनी ने इस बारे में कुछ खास बातें मीडिया को बताई हैं।

यह भी पढें - उत्तराखंड के अनिल बलूनी की जिद का नतीजा, सज-धजकर चल पड़ी नैनी-दून शताब्दी एक्सप्रेस
अनिल बलूनी के मुताबिक डर इस बात का है कि पहाड़ में गांव धीरे-धीरे खाली होते जा रहे हैं और देवभूमि की महान संस्कृति विलुप्ति के कगार पर है। अनिल बलूनी का कहना है कि ये हमारी ही जिम्मेदारी है कि हम अपने राज्य की विशिष्ट संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करें। जो नौजवान रोजगार के नाम पर गांव छोड़ चुके हैं, उन्हें गांव में ही वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। अगर ये काम परवान चढ़ा, तो एक सुनहरे उत्तराखंड का सपना पूरा हो सकता है। अलग अलग गांवों में इस तरह के प्रोग्राम चलाकर परंपराओं को फिर से जीवित किया जा सकता है। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की इस पहल की हर जगह तारीफ हो रही है और उम्मीद है कि आने वाले वक्त में बौर गांव को नई उड़ान मिल सकेगी।

मित्रों पलायन रोकने के लिए एक सामाजिक पहल प्रारंभ करते हुए मैंने आज पौड़ी जिले के दूगड्डा विकासखंड के बौरगांव को अंगीकृत...

Posted by Anil Baluni on Friday, September 21, 2018


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home