देवभूमि में लेह-लद्दाख से खूबसूरत गांव, जो युद्ध में खाली हुआ था..अब पर्यटन हब बनेगा!
अब आप उत्तराखंड के उस गांव में कदम रखेंगे जो कभी भारत और चीन के बीच व्यापार के लिए मशहूर हुआ करता था लेकिन युद्ध के बाद ये गांव खाली हो गया।
Sep 30 2018 3:42AM, Writer:रश्मि पुनेठा
उत्तराखंड में एक गांव ऐसा भी है, जो कभी भारत और चीन के बीच व्यापार का केंद्र हुआ करता था। बेमिसाल खूबसूरती, दिलकश वादियां और प्रकृति की अनमोल छटा के बीच बसा है जादूंग गांव। कहते हैं कि ये पूरी घाटी ही लेह-लद्दाख से कई ज्यादा खूबसरूत है। भारत चीन के बीच युद्ध हुआ तो ये गांव और पूरी घाटी ही खाली हो गई। चीन बॉर्डर पर बसा उत्तरकाशी का गांव जादूंग की जल्द ही तस्वीर बदलने वाली है। युद्ध की वजह से सुनसान हुए इस गांव में एक बार फिर लोगों की आवाजाही शुरु होगी। ये सब इसलिए होगा क्योकिं जल्द ही जादूंग गांव को पर्यटन हब में तब्दील कर दिया जाएगा। भारत-चीन युद्ध के दौरान सेना द्वारा अधिग्रहण के बाद इस गांव के लोग अब हर्सिल और डुंडा में निवास करते हैं। उत्तरकाशी से भैरों घाटी और वहां से नेलांग और फिर जादुंग पहुंचा जा सकता है।
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खुद उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस बात का ऐलान किया है। जादूंग गांव की शक्ल सूरत बदलने की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग लेगा। उन्होंने बताया कि नेलांग घाटी के बाद इस गांव तक पर्यटकों की आवाजाही कराने के कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश में टूरिज्म कैलेंडर से सालभर पर्यटन गतिविधियां संचालित की जाएंगी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस दौरान लोगों से अपील की कि सोशल मीडिया के जरिए गांव, कस्बे और जनपद के पर्यटन स्थलों की फोटो और जानकारी दुनिया तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि इससे भी पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि राजस्थान के कुलधरा गांव की तर्ज पर भारत-चीन के युद्ध में खाली हुए जादूंग गांव को भी पर्यटन से जोड़ा जाएगा। जादूंग एक ऐसा गांव है, जहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
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लोग यहां उन भवनों और उन अवशेषों को देख सकेंगे, जो कभी व्यापार का केंद्र हुआ करते थे। भारत और चीन के बीच उस वक्त गर्तांगली के जरिए व्यापार किया जाता था। बाद में गर्तांगली बंद होने साथ साथ जादूंग गांव भी खाली हो गया। अब उत्तराखंड सरकार भी सिक्किम की तरह होम स्टे के भवनों को बनाकर देगी। महाराज ने बताया कि आज विदेशों में कंडाली की चाय और सूप आकर्षण का केन्द्र हैं। कंडाली को पर्यटक खूब पसंद कर रहे हैं। बालों की ग्रोथ के लिए कंडाली की चाय को दवाई की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही फ्रांस की स्वीट डिश में झंगोरे की खीर ने भी अपनी जगह बना ली है। कार्यक्रम के दौरान सतपाल महाराज ने बताया कि साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई आपदा की यादों को सुरक्षित रखने के लिए म्यूजियम बनाया जाएगा।