पहाड़ की मंजू भंडारी..पिता की मौत के बाद खुद चलाने लगी खच्चर, बदली समाज की सोच
राज्य समीक्षा की कोशिश रहती है कि ऐसी महिलाओं की कहानियों को आप तक पहुंचाएं, जो वास्तव में हर किसी के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं।
Oct 13 2018 6:57AM, Writer:आदिशा
कहते हैं कि एक नारी से ज्यादा सहन करने की क्षमता किसी में नहीं होती। इतिहास गवाह है कि नारी शक्ति ने हर बार इतिहास को चुनौती देते हुए नया इतिहास रचा है। खासतौर पर जब बात पहाड़ की नारियों की हो, तो उनके लिए दल में अलग ही सम्मान पैदा होता है। आज जिस महिला से हम आपको रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, उनका नाम है मंजू भंडारी। टिहरी के जाख गांव की मंजू अपने पिता की मौत के बाद मंजू पूरी तरह से टूट चुकी थी लेकिन वो दोबारा उठ खड़ी हुई। मंजू ने अपने दम पर खच्चर चलाने के पेशे को ना सिर्फ आगे बढ़ाया बल्कि अपने परिवार को भी आर्थिक रूप से मजबूत कर दिखाया। साल 1998 में मंजू के पिता गंगा सिंह इस दुनिया से चले गए और मंजू के कंधे पर पांच भाई-बहनों की लालन-पालन की जिम्मेदारी आ गई।
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18 साल की उम्र क्या होती है ? मंजू की मां खुद को असहाय महूसस कर रही थी। मंजू ने हिम्मत नहीं हारी। वो बाकी महिलाओं के साथ गांव में ही मजदूरी करने में जुट गई। हालांकि इनती कमाई से परिवार को पेट नहीं पल रहा था। इस बीच मंजू ने देखा कि गांव के ही कुछ पुरुष खच्चरों से अचछा खासा कमाई कर रहे हैं। बस फिर क्या था ? मंजू ने पैसे बचाने शुरू कर दिए और साल 2002 में दो घोड़े खरीद लिए। जिस पेशे में अब तक सिर्फ पुरुषों को वर्चस्व था, उस पेशे में एक महिला ने कदम रख दिए थे। दो घोड़ों से माल का ढुलान करवाया और साल 2004 में बड़ी बहन संजू की शादी करवाई। इसके बाद मंजू ने दोनों घोड़े बेचकर खच्चर खरीदे और ढुलाई के काम को ही अपना पेशा बना लिया। कहते हैं कोई भी काम छोटा नहीं होता और मंजू भंडारी भी कुछ ऐसा ही कर रही थी।
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मंजू लगातार मेहनत करती रही और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारती रही। साल 2009 में उन्होंने अपनी बहन रजनी की भी शादी करवा दी। 2013 में एक और बहन अंजना की भी शादी करवा दी। अब मंजू का ध्यान पूरी तरह से अपने परिवार पर है। उनका छोटा भाई पढ़ाई कर रहा है। 38 साल की मंजू ने अभी तक शादी नहीं की है। अब उन्होंने पैसे बचाकर एक दुकान भी खोल दी और उससे भी अच्छा खासा कमाई कर रही हैं मंजू आज खच्चरों के खुर भी खुद ही बदल रही हैं और खुद ही खच्चरों पर माल लोड करती हैं। मंजू हर वक्त ये ही कहती हैं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। मंजू की इस मेहनत को राज्य समीक्षा का दिल से सलाम। इसी तरह से काम करते रहिए और समाज के लिए प्रेरणा बनती रहिए।