इस हौसले को सलाम... गढ़वाल के राजेंद्र ने कटे हाथों से लिखी किस्मत, देश के सामने पेश की मिसाल
10 साल का बच्चा एक सुबह हाथ में लोहे की चेन लिए खेलते हुए विजली विभाग की झूलती तारों की चपेट मे आकर दोनो हाथ जला बैठता है... चंबा के राजेंद्र की ये कहानी प्रेरणा देती है
Oct 24 2018 10:20AM, Writer:शैलेश
वीर गबर सिंह रावत की जन्म स्थली ग्राम मंज्यूड़, चम्बा टिहरी गढ़वाल मे जन्मे 24 वर्षीय राजेन्द्र सिंह नेगी ने अपने अधूरे हाथों से वो सब कुछ कर दिखाया जो कई लोग दो पूरे हाथ लिये भी नहीं कर पाते... स्वरोज्गार ,आत्मसम्मान के साथ जीविका। ऐसा करने की हिम्मत, और अधूरे बाजुओं में ताकत शायद उन्ही कटे हुए हाथों की प्रेरणा से मिली। 2004 में 10 वर्ष का एक बच्चा एक सुबह हाथ में लोहे की चेन लिए घूमने जाता है और बिजली विभाग की झूलती तारों की चपेट मे आकर दोनो हाथ जला बैठता है। गरीब पिता जब देहरादून मे अपने बेटे के हाथ बचाने के लिये दर दर भटक रहा था... बिजली विभाग ने होशियारी दिखते हुए अनपढ़ माँ से 13 हजार रु o की आर्थिक मदद का लालच देकर, यह मनवाकर स्टाम्प पेपर पर अंगूठा लगावा दिया की इसमें विभाग की कोई गलती नहीं है, बेटे के अच्छे भविष्य और इलाज के लिए मदद समझकर अनपढ़ माँ ने अंगूठा लगा दिया उस बेचारी को क्या पता था कि कागज़ के टुकड़े पर उसके बेटे का भविष्य नहीं बल्कि दुर्भाग्य छुपा था, मुआवजे के लिए वो बिजली विभाग से भी अब किसी भी प्रकार की कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकता।
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डॉक्टर ने एहतियातन उसके दोनों अधजले हाथों को आधा काट दिया और जब घर लौटा तो नादान को पता न था की आधा बचे हाथों से जीवन की गाड़ी चलाने में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। बच्चा बड़ा हुआ तो किशोर अवस्था के हर काम अधूरे हाथों से अधूरे ही छूटने लगे... पढाई भी। आठ दर्जे तक पढ्ने के बाद आर्थिक तंगी और समाज के अधूरे व्यवहार ने आगे पढ्ने न दिया लेकिन जीवन की आवश्यकताओं ने जरूर कई पाठ पढ़ाने शुरु कर दिये। आखिरकार जब वह युवा अवस्था में पहुंचा तो पहली समझ उसे बिजली विभाग की देहली पर रोजगार की मांग के लिए लेके गई, आखिर इस अधूरेपन की वजह भी तो वही थे लेकिन आज तक भी निराशा ही हाथ लगी। कई बार अफसरों से लेकर हुक्मरानो तक गुहार लगाई लेकिन इन अधूरे हाथों को किसी ने नहीं थामा। इस पहाड़ी ने फिर उन्ही दो अधूरे हाथों से अपनी तकदीर बदलने की ठानी... और दोस्तों की मदद से एक दुकान तल्ला चम्बा (टिहरी गढ़वाल) में खोली। हिम्मत का धन लिए आज एक मंझे हुये दुकानदार की तरह राजेंद्र अपना खुद का व्यवसाय कर रहा है।
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बेशक... चुनौती तो अभी भी हैं, एक ओर एक लाख का दोस्तों का कर्ज और दूसरी ओर परिवार की तंगहाली। फिर भी हर रोज दुकान पर इस आस से मेहनत करता है कि कर्ज भी चुकेगा और पोल्ट्री फ़ार्म खोलने का सपना भी सच होगा। आज टिहरी गढ़वाल के चंबा का राजेंद्र सिंह नेगी हर वो काम कर सकता है जो सामान्य लोग करते हैं। स्मार्ट फ़ोन चलाना, लिखना, भारी सामान उठाना। इसके साथ ही वो फुटबाल का भी अच्छा खिलाडी है। जहाँ इस हालत में लोगों की दया मिलती है... आज इस पहाड़ी से लोग प्रेरणा लेते हैं। राजेंद्र उन के लिए भी प्रेरणा का श्रोत है जो बहुरुपिया बनकर धर्म के नाम पर दोनों स्वस्थ हाथों से मांगते हैं। एक बार बिजली विभाग ने नाइंसाफ़ी की, अब सरकार की बारी है कि इस ऊर्जावान स्वावलंबी पहाड़ी युवा की मेहनत को सलाम करे। और कुछ नहीं तो इसके पोल्ट्री फॉर्म खोलने के सपने को पूरा करने में मदद करे। इन दो अधूरे हाथों के भरपूर जज्बे को राज्य समीक्षा सलाम करता है।