उत्तराखंड का सपूत..पिता करगिल में शहीद हुए थे, अब सेना में अफसर बनकर दिखाया
उत्तराखंड की धरती ने देश को ऐसे वीर सपूत दिए हैं। हाल ही में टिहरी के सौरव चंद रमोला गढ़वाल राइफल में बतौर अफसर के रूप में आए हैं। जानिए उनकी कहानी
Dec 9 2018 11:36AM, Writer:आदिशा
मुश्किल रास्तों में जीत हमेशा हौसलों की होती है..ये कहावत सच कर दिखाई है टिहरी जिले के चम्बा ब्लॉक के ग्राम कोट पट्टी मनियार के रहने वाले सौरभ चंद रमोला ने। एक वीर सपूत जिसके पिता करगिल में शहीद हुए थे। अपने पिता को आदर्श मानकर और उनके नक्शे कदम पर चलते हुए सौरभ ने अपने दिल में देशसेवा का जज्बा हमेशा कायम रखा। आज सौरभ भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। भारतीय सेना में भर्ती होने वाले हर अफसर की कहानी प्रेरणादायक है और इस बीच पहाड़ के इस सपूत की कहानी जानना भी जरूरी है। सौरभ उस वक्त सिर्फ 4 साल के थे जब सिर से पिता का साया उठ गया था। ड्यूटी के दौरान सौरभ के पिता राजेन्द्र सिंह रमोला करगिल में शहीद हुए थेे। पिता चले गए तो घर की सारी जिम्मेदारी मां विमला देवी के कंधों पर आ गई।
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मां ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और अपना सारा जीवन बच्चों की शिक्षा-दीक्षा पर लगा दिया। सौरभ अपने घर में 6 बहनों का सबसे छोटे और इकलौते भाई हैं। सौरभ की प्रारंभिक शिक्षा चम्बा से हुई। इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के लिए वो देहरादून के समरवैली स्कूल में चले गए। इसके बाद दौरान सौरभ ने एनडीए की परीक्षा पास की और ट्रेनिंग के लिए नेशनल डिफेंस एकेडमी चले गए। यहां से उन्होंने खुद को देश की रक्षा के लिए तैयार किया। चार साल का कठिन परिश्रम , लगन और मेहनत के बूते सौरभ आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने के बाद सौरभ के गांव में जश्न का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए सौरभ ने भी देशसेवा का जो मार्ग चुना है वो काबिले तारिफ है।
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सौरभ की इस उपलब्धि को लेकर उनके परिजनों को भी उनपर गर्व है। पासिंग आउट परेड के दौरान उनकी मां विमला देवी मौजूद थीं। मानों मां की मेहनत कामयाब हो गई और उस पल उस बूढ़ी मां की आंखों में आंसू थे। आपको ये भी जानकर गर्व होगा कि हाल ही में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से 347 जेंटलमैन कैडेट में पासिंग आउट परेड की और भारतीय सेना में अफसर बनने का गौरव हासिल किया। इस बार भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में संख्या बल के मामले में भले ही यूपी सबसे आगे हो, लेकिन जनसंख्या के लिहाज से उत्तराखंड सबसे आगे रहा है। उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा के 53 युवा पासआउट हुए। उत्तराखंड से इस बार 26 युवा पासआउट होकर सेना में अफसर बने।