पौड़ी गढ़वाल में हैवानियत की हद, सिरफिरे ने पेट्रोल छिड़ककर छात्रा को जिंदा जलाया
एक वारदात जिससे आम आदमी गुस्से में है और सवाल पूछ रहा है कि क्या पहाड़ में बेटियां सुरक्षित नहीं रह गई हैं।
Dec 17 2018 5:22AM, Writer:kapil
क्या कभी कोई सोच सकता है कि पहाड़ में वहशियत का ऐसा खेल खेला जाएगा? क्या कभी कोई सोच सकता है कि देवभूमि कही जाने वाली पवित्र जगह में पाप का ऐसा घिनौना खेला जाएगा ? शायद नहीं...ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पौड़ी गढ़वाल में जो कुछ भी हुआ है, वो वहशियत और हैवानियत की सारी हदें पार कर देने वाला है। एक सिरफिरे ने परीक्षा देकर लौट रही छात्रा पर पेट्रोल उड़ेलकर आग के हवाले कर दिया। हैरानी की बात ये है कि ऐसा करने वाला एक शादीशुदा युवक है। छात्रा की हालत बेहद गंभीर है और वो करीब 70 फीसदी तक जल चुकी है। छेड़छाड़ का विरोध करने पर एक ऐसी वारदात को अंजाम दिया गया है, जिससे हर कोई सन्न है। अब आपको बताते हैं कि आखिर ये पूरी वारदात क्या है।
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बताया जा रहा है कि ये वारदात पौड़ी जिले के कफोलस्यूं पट्टी की है। बीएससी सेकेंड ईयर की छात्रा प्रैक्टिकल परीक्षा देकर स्कूटी से घर की तरफ लौट रही थी। इस बीच गहड़ गाव का शख्स मनोज उसका पीछा करते हुए भीमली तक आ पहुंचा। उसने पहले युवती का रास्ता रोका और फिर जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब छात्रा ने इस बात का विरोध किया, तो हैवान शख्स ने उस पर पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया। इसके बाद आरोपी मौके से भाग गया। इलाका सुनसान था और छात्रा की चीख किसी को नहीं सुनाई दी। इस बीच वहां से गुजर रहे एक शख्स ने छात्रा को झुलसी हालत में पड़े देखा और तुरंत पुलिस को खबर कर दी। तुरंत ही आपात कालीन सेवा की मदद से छात्रा को जिला अस्पताल पौड़ी लाया गया।
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शुरुआती इलाज किया गया लेकिन छात्रा की हालत बेहद खराब हो गई थी। इसके बाद छात्रा को श्रीनगर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। बताया जा रहा है कि छात्रा का शरीर लगभग 70 प्रतिशत झुलसा हुआ है। हमला करने वाला शख्स अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। शुरुआती जांच कहती है कि आरोपी शख्स तीन चार दिन से छात्रा को परेशान कर रहा था। इस वारदात के बाद से इलाके के लोग गुस्से में हैं।
सवाल ये है कि आखिर पहाड़ पर ये किसकी नज़र लग गई? आखिर इस मानसिकता को क्या हो गया है? पहाड़ में अब तक ऐसी खबरें बहुत कम सुनने को मिली हैं, ऐसे में ये खबर रौंगटे खड़े कर देती है और साथ ही सवाल खड़े करती है कि क्या वास्तव में पहाड़ में भी अब बेटियां सुरक्षित नहीं रह गई ?