उड़ता उत्तराखंड, नशे के जाल में जकड़ी पहाड़ की जवानी, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
सीमांत जिलों में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। प्रदेश की राजधानी देहरादून के साथ-साथ ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी में भी नशे का कारोबार खूब फल-फूल रहा है...
Dec 28 2018 10:45AM, Writer:कपिल
अपने आध्यात्मिक परिवेश के लिए मशहूर देवभूमि धीरे-धीरे नशे के सौदागरों का गढ़ बनती जा रही है। उत्तराखंड के सीमांत जिलों में नशे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है और जो लोग नशे की गिरफ्त में हैं, उनमें सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है। नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों के रडार पर सूबे के युवा हैं। नशीले पदार्थ बेचने से लेकर उन्हें खरीदने वालों तक में युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा है। हालात किस हद तक खराब हो चुके हैं इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पुलिस ने पिछले एक साल के भीतर राज्य में सात करोड़ की नशे की सामाग्री बरामद की है। नशे का कारोबार करने वाले 980 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया और 934 मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं, लेकिन हालात साल दर साल बिगड़ते ही जा रहे हैं। नशाखोरी के खिलाफ जिन मामलों में कार्रवाई की गई, उनमें से 70 फीसदी मामलों में युवा शामिल थे।
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सीमांत जिलों में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। प्रदेश की राजधानी देहरादून के साथ-साथ ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार में नशाखोरी के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी में भी नशे का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। सूबे में चरस, स्मैक, डोडा, भांग के साथ-साथ अफीम और नशीली दवाओं के सेवन के मामले बढ़े हैं, और इनका इस्तेमाल करने वालों में स्कूल, कॉलेज के छात्रों से लेकर नौकरीपेशा युवा हैं। हालांकि इन सबके बीच राहत वाली खबर ये है कि प्रदेश के 13 जिलों में रूद्रप्रयाग जैसा जिला भी है, जहां नशाखोरी का एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। रुद्रप्रयाग के बाद चमोली और पौड़ी में सबसे कम मामले दर्ज हुए हैं। युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए पुलिस की तरफ से जागरुकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल उनका असर होता नहीं दिख रहा।