पहाड़ के इस परिवार की मदद कीजिए, घर-घर जाकर खाना मांगने को मजबूर हैं अनाथ बेटियां
पहाड़ की दो मासूमों को मदद की दरकार है। ये बच्चियां अनाथ हैं। दोनों कड़ाके की ठंड में घर-घर जाकर खाना मांगने को मजबूर हैं। शेयर कीजिए और मदद कीजिए।
Jan 25 2019 11:10AM, Writer:आदिशा
जिस वक्त पूरा देश राष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहा था, ठीक उसी वक्त रुद्रप्रयाग की दो अनाथ बच्चियां गांव में घर-घर जाकर खाना मांग रही थीं। ये समाज की भी जिम्मेदारी है कि इन बच्चियों को इस गरीबी के दंश से बाहर निकाला जाए। हम चाहते हैं कि इस परिवार को मदद देने के लिए आप भी इस खबर को शेयर करें। मामला जखोली ब्लाक के त्यूंखर गांव का है जहां 5 साल की बसु और 2 साल की निशा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अभी इनके जीवन की शुरुआत ही हुई है, लेकिन इतनी कम उम्र में ही दोनों बच्चियों को जिंदगी की कठोर सच्चाई का सामना करना पड़ रहा है। 10 महीने पहले इन बच्चियों के पिता प्रेमु लाल की बीमारी की वजह से मौत हो गई थी, जिसके बाद बच्चियों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनकी मां सुनीता देवी पर आ गई। पति की मौत के सदमे में सुनीता देवी ने भी कुछ दिन पहले दम तोड़ दिया...तब से ये दोनों बच्चियां बेसहारा हो गई हैं।
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अनाथ बच्चियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। कड़ाके की ठंड में दोनों बच्चियां चीथड़े पहने, नंगे पांव पूरे गांव में खाना मांगने के लिए घर-घट भटकती हैं। इस वक्त गांव के कुछ परिवार इन दोनों बच्चियों को सुबह और शाम खाना दे रहे हैं, लेकिन ऐसा कब तक चलेगा। ठंड की वजह से बच्चियों की हालत खराब है। दोनों बच्चियों के हाथ-पैर ठंड से नीले हो गए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता इन बच्चियों के संरक्षण का इंतजाम करने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं बाल संरक्षण आयोग के सचिव ने दोनों बच्चियों के पालन-पोषण के लिए बाल कल्याण समिति में प्रस्ताव रखने की बात कही है। इन दोनों बच्चियों को मदद की दरकार है, आप भी इनकी मदद के लिए आगे आईये, ताकि इन बच्चियों को खाने के लिए दो वक्त का खाना और सुरक्षित माहौल मिल सके।