देवभूमि के प्रकांड विद्वान ने ही लिखी थी बद्रीनाथ आरती..कार्बन डेटिंग से लगी मुहर..मिला सम्मान
आखिरकार इतने सालों की जद्दोजहद के बाद पहाड़ के प्रकांड विद्वानों के परिजनों को ये सम्मान मिला है। धन्य हैं ऐसे युगपुरुष
May 17 2019 1:44PM, Writer:आदिशा
राज्य समीक्षा ने हर बार आप तक सच्ची खबरें पहुंचाने की कोशिश की है। सच की पड़ताल करते हुए हमने हर बार आपको ये बताने की कोशिश की है कि पहाड़ के लोगों कैसे महान काम किए हैं। हाल ही में हमने आपको एक खबर बताई थी। हमने आपको सबसे पहले बताया था कि बदरीनाथ जी की आरती मौलाना बदरुद्दीन शाह ने नहीं लिखी, बल्कि पहाड़ के एक महान विद्वान ठाकुर धनसिंह बर्तवाल जी ने लिखी थी। इस का असर ये हुआ है कि देश के बड़े बड़े अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से जगह दी है। बद्रीनाथ आरती पर यूसैक की मुहर पहले ही लग गई थी। कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो गया कि श्री बद्रीनाथ जी की आरती स्व. धन सिंह बर्तवाल द्वारा संवत 1938 (सन 1881) में लिखित है। अब ठाकुर धनसिंह के परिजनों की तारीफ खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की है। सीएम त्रिवेंद्र ने लिखा ‘कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो गया है कि श्री बद्रीनाथ जी की आरती स्व. धन सिंह बर्तवाल द्वारा संवत 1938 (सन 1881) में लिखित है। बर्तवाल जी के परिजनों ने बद्रीनाथ जी की आरती की पांडुलिपि भेंट की जिसकी कार्बन डेटिंग हुई है। धन सिंह जी के परिवार ने हमारी प्राचीन सभ्यता को संजोकर रखने का सराहनीय प्रयास किया है’।
जय हो विजय हो
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बदरीनाथ जी की आरती ‘पवन मंद सुगंध शीतल’ के रचयिता ठाकुर धनसिंह बर्तवाल थे। 1881 में स्वर्गीय ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल ने इस आरती को लिखा था और इसकी पांडुलिपि आज भी मौजूद है। रुद्रप्रयाग जिले में तल्ला नागपुर पट्टी के सतेरा स्यूपुरी के विजरवाणा के रहने वाले स्वर्गीय ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल ने ये आरती लिखी थी। पाण्डुलिपि के अंत में लिखी सूचना के मुताबिक ये माघ माह 10 गते (सन् 1881) को स्व0 ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल द्वारा लिखी गयी है। इस पाण्डुलिपि की मुख्य विशेषता ये है कि वर्तमान आरती का प्रथम पद यानी ‘’पवन मंद सुगन्ध शीतल" इस आरती का पांचवा पद है।
सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं
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पाण्डुलिपि में गढ़वाली भाषा के शब्दों का प्रयोग भी है। जैसे कौतुक के स्थान पर कौथिग, पवन के स्थान पर पौन और सिद्ध मुनिजन के स्थान पर सकल मुनिजन अंकित है। यूसैक ने भी अपनी जांच के बाद बद्रीनाथ जी की आरती की पांडुलिपियों को सही पाया है। जांच में ये भी पाया गया कि बद्रीनाथ जी की आरती 137 साल पहले रुद्रप्रयाग जिले में तल्ला नागपुर पट्टी के सतेरा स्यूपुरी के विजरवाणा के रहने वाले स्वर्गीय ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल ने ही लिखी है। अब सीएम त्रिवेंद्र ने भी ठाकुर धनसिंह बर्तवाल के परिजनों से मिलकर इसकी खुले दिल से तारीफ की है। इस मौके पर यूसैक के निदेशक एमपीएस बिष्ट, ठाकुर धनसिंह बर्तवाल की अनमोल कृति को संभाले रखने वाले ठाकुर महेन्द्र सिंह बर्तवाल, समाजसेवी गंभीर बिष्ट भी मौजूद थे। राज्य समीक्षा का ये एक्सक्लूसिव विडियो भी देखिये..