कैबिनेट मंत्री बनने तक का सफर मुश्किलों भरा भी रहा और अभी भी कई चुनौतियां सामने हैं। जानिए रमेश पोखरियाल निशंक के बारे में कुछ खास बातें
May 31 2019 5:07PM, Writer:आदिशा
पौड़ी गढ़वाल के पिनानी गांव के गरीब घर का लड़का। गुरबत की जिंदगी से निकलकर वो पहले शिक्षक बने और अब देश के मानव संसाधन मंत्री बने हैं। रमेश पोखरियाल निशंक की जिंदगी काफी उतार चढ़ावों से भरी रही है। या यूं कहें कि सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य से राज्य का मुख्यमंत्री और फिर केंद्रीय मंत्री बनने की ये यात्रा बेहद अलहदा है। वो जीवन के शुरुआती दिनों से संघ से जुड़े रहे और इसके बाद जोशीमठ स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में प्राचार्य रहे। उस दौरान आरएसेस का स्वयंसेवक होने के साथ-साथ उन्हें शिक्षक की दो-दो जिम्मेदारियां संभालनी होती थीं। अध्यापन के काम के दौरान निशंक समाज सेवा में सक्रिय रहे और इसके बाद राजनीति से जुड़ गए। राजनीति में उनके कदम जमें तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। आगे पढ़िए
1991 में वे पहली कर्णप्रयाग विधानसभा से निर्वाचित हुए
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अस्सी के दशक में निशंक उत्तराखंड राज्य के संघर्ष समिति के केंद्रीय प्रवक्ता बनें। 1991 में वे पहली कर्णप्रयाग विधानसभा से निर्वाचित हुए और उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे। वे इस सीट पर 1993 और 1996 में भी चुनाव जीते।
उत्तराखंड में 5 बार विधायक बने
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साल 1991 में पहली बार कर्णप्रयाग सीट से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने। इसके बाद साल 1991 से 2012 तक वो यूपी और उत्तराखंड में 5 बार विधायक बने।
उत्तराखंड राज्य बना तो कई विभागों के मंत्री बने
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साल 2000 में उत्तराखंड राज्य बना तो वो वित्त, राजस्व और पेयजल जैसे 12 विभागों के मंत्री बने। इसके बाद 2007 में भी भुवन चंद्र खंडूरी सरकार के दौरान मंत्री बने।
उत्तराखंड के पांचवें सीएम
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साल 2009 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद भूवन चन्द्र खंडूरी को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और इसके बाद निशंक उत्तराखंड के पांचवें सीएम बन गए। निशंक को खंडूरी का करीबी माना जाता था और वो आरएसएस से भी जुड़े हुए थे।
अब बने कैबिनेट मंत्री
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2012 में निशंक देहरादून के डोईवाला से विधायक बने। इसके बाद 2014 में हरिद्वार से सांसदी का चुनाव लड़ने के लिए विधायकी छोड़ दी। एक बार फिर 2019 में बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया और वो जीतकर आए। अब वो देश के मानव संसाधन विकास मंत्री बने हैं।