image: SANJEEV CHATURVEDI JIM CORBET PARK UTTARAKHAND

उत्तराखंड के इस IFS अफसर की देशभर में तारीफ...कॉर्बेट में VIP कल्चर पर लगाई लगाम

कार्बेट नेशनल पार्क में वीआईपी कल्चर खत्म हो गया है और इसका श्रेय जाता है यहां के ईमानदार निदेशक संजीव चतुर्वेदी को...
Jun 19 2019 1:07PM, Writer:कोमल नेगी

हम लोग व्यवस्था की खामियों को लेकर अक्सर प्रशासन पर तंज कसते हैं, सरकार को कोसते हैं, वीआईपी कल्चर को गालियां देते हैं, पर इसमें सुधार की हिम्मत बहुत कम लोग दिखा पाते हैं...वीआईपी कल्चर को खत्म करने का ऐसा ही साहस दिखाया है विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने। उन्होंने पार्क में वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए बकायदा आदेश जारी किया है। अब अगर कोई वीआईपी अपने नाते-रिश्तेदारों को मुफ्त की सैर और आवभगत कराने के लिए कार्बेट नेशनल पार्क को लेटर लिखेगा, तो उसे तुरंत आईना दिखा दिया जाएगा। पार्क प्रशासन ऐसे माननीयों से साफ कह देगा कि वो अपने पद का दुरुपयोग ना करें। अपने रिश्तेदारों की मौज की इतनी ही पड़ी है तो कार्बेट में बुकिंग के लिए ऑनलाइन सेवा का इस्तेमाल करें। वो भी नहीं हो पा रहा तो पार्क के बाहर तमाम रिजॉर्ट-होटल हैं, वहां जाकर ठहरें।

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कुल मिलाकर कॉर्बेट में वीआईपी कल्चर खत्म हो गया है और इसका श्रेय जाता है यहां के ईमानदार युवा अफसर संजीव चतुर्वेदी को, जिन्होंने ऐसा करने की हिम्मत दिखाई। कॉर्बेट प्रशासन ने फैसला किया है कि उत्तराखंड राज्य अतिथि नियमावली की सूची-एक में शामिल संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों के अलावा किसी को वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा। ये कदम उठाना बेहद जरूरी था क्योंकि तमाम नेता और ऊंची पहुंच वाले लोग अपने रिश्तेदारों को पार्क में ठहराने और सफारी के लिए पार्क प्रशासन को लेटर भेज देते थे। कार्बेट नेशनल पार्क वैसे ही कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में वीआईपी लोगों के लिए व्यवस्था बनाए रखने में पार्क प्रशासन को काफी परेशानी हो रही थी। नेता तो नेता उनके रिश्तेदार भी यहां ठाठ करने पहुंच रहे थे। आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने राज्य अतिथियों के लिए नियम बनाए हैं।

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राज्य अतिथि नियमावली की सूची-1 के मुताबिक ये साफ कर दिया गया है कि किस पद पर आसीन लोग राज्य अतिथि होंगे। इनमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश, कैबिनेट सचिव, तीनों सेनाओं के प्रमुख समेत चुनिंदा नाम हैं। जो लोग सरकारी काम से उत्तराखंड आते हैं उन्हें भी राज्य अतिथि माना गया है। खैर ये तो हुई नियमों की बात पर इन्हें मानता कौन है। कॉर्बेट प्रशासन भी रसूखदारों की खिदमत कर कर के आजिज आ गया था, यही वजह है कि निदेशक संजीव चतुर्वेदी को कड़ा फैसला लेना पड़ा। आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी अपनी ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं। सही बात के लिए वो दिग्गज नेताओं तक से भिड़ जाते हैं। अब उन्होंने कार्बेट की व्यवस्था में सुधार का बीड़ा उठाया है, ये एक सराहनीय पहल है। उम्मीद है इससे व्यवस्था में बदलाव आएगा, वीआईपी कल्चर को जड़ से उखाड़ फेंकने में मदद मिलेगी।


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