image: CM TRIVENDRA MET PIYUSH GOEL DEHRADUN HARIDWAR RAILWAY TRACK

खुशखबरी: देहरादून से हरिद्वार तक बनेगा डबल रेल ट्रैक...मोदी सरकार ने दी हरी झंडी!

अब तक देहरादून से हरिद्वार तक आपको सिंगल रेलवे ट्रैक दिखता है, लेकिन बहुत जल्द ये ट्रैक डबल ट्रैक के रूप में नजर आएगा।
Jun 19 2019 6:28PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तराखंड में रेल सेवाओं के विस्तार की कवायद जारी है। प्रदेश सरकार सूबे में संचार सेवाओं को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। प्रदेश सरकार की कोशिशें रंग लाईं तो जल्द ही हरिद्वार से देहरादून तक डबल रेल ट्रैक बनेगा। इससे यात्रियों को काफी सहूलियत होगी, साथ ही हरिद्वार कुंभ के दौरान भी इसका फायदा मिलेगा। हाल ही में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से मिले थे। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री से कई मुद्दों पर बात की। हरिद्वार-देहरादून के बीच डबल रेलवे ट्रैक भी बातचीत का अहम मुद्दा था। जिसे सीएम ने केंद्रीय रेल मंत्री के सामने रखा। मंगलवार को सचिवालय में मीडिया से हुई बातचीत में सीएम ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से हरिद्वार से देहरादून तक रेलवे का डबल लेन ट्रैक बनाने के लिए सहमति मिल गई है। केंद्र ने दो महीने के भीतर राज्य सरकार से इसकी डीपीआर भी मांगी है। हरिद्वार महाकुंभ के मद्देनजर ज्वालापुर और मोतीचूर रेलवे स्टेशन को भी डेवलप किया जाएगा। हरिद्वार महाकुंभ की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए हरिद्वार रेलवे स्टेशन में भी सुविधाएं बढ़ाई जाएगी। इसे विकसित किया जाएगा, ताकि कुंभ के दौरान हरिद्वार आने वाले यात्रियों को परेशानी ना हो। ये सभी बातें सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय रेल मंत्री के सामने रखी थीं।

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सीएम ने केंद्रीय मंत्री से ज्वालापुर और मोतीचूर रेलवे स्टेशन को विकसित करने का आग्रह भी किया था। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस आग्रह को ना केवल स्वीकार किया, बल्कि मंत्रालय के अफसरों को इस प्रस्ताव पर तुरंत काम करने के निर्देश भी दिए। सीएम की कोशिशों के फलस्वरूप हरिद्वार से देहरादून तक डबल लेन ट्रैक बनाने पर केंद्र की तरफ से सैंद्धातिक सहमति तो मिल गई है, पर इस काम में मुश्किलें भी बहुत हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि राजाजी नेशनल पार्क के भीतर रेलवे का डबल लेन ट्रैक बनना काफी मुश्किल भरा है। रेलवे की लाइन पार्क के भीतर लगभग 18 किमी के एरिया से गुजरती है। ये इलाका क्योंकि नेशनल पार्क का हिस्सा है और यहां वन्यजीव कई बार ट्रैक पार कर रहे होते हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखना होता है। पार्क के भीतर ट्रेन की अधिकतम रफ्तार 40 किमी ही रखनी पड़ती है। अब अगर यहां डबल लेन ट्रैक बनेगा तो उसके लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी एनओसी लेनी पड़ेगी। वहां से एनओसी मिलना आसान नहीं है। ऐसे में ये योजना कैसे आगे बढ़ पाएगी, ये देखना होगा।


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